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जीवाणुओं की खादों का इस्तेमाल कर पॉलीहाउस में बढ़ाएं सब्जी की पैदावार

जीवाणुओं की खादों का इस्तेमाल कर पॉलीहाउस में बढ़ाएं सब्जी की पैदावार
 
 सब्जी की पैदावार

प्रदेश में पॉलीहाउस नेट हाउस में उन्नतशील किसान मिर्च, सामान्य टमाटर, चेरी टमाटर, बीज रहित खीरा, बैंगन और हरी कड़वी मिर्च सब्जियों की खेती करते हैं। जिनकी मांग साल भर रहती है। एचएयू हिसार के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सुरेश कुमार अरोड़ा ने बताया कि इन फसलों से किसान प्लास्टिक के बने पॉलीहाउस या मच्छरदानी के प्रयोग से करीब 400 से 700 क्विंटल फल प्रति एकड़ प्राप्त कर सकता है। सौरतीकरण करेंः जून, जुलाई में भूमि का सौर

तापीकरण करके जड़ों के सूत्र कर्मी रोग यानी रूट

नोट नीमाटोड्स या सफेद गरब की रोकथाम 80

से 100% तक प्राकृतिक विधि से हो सकती है।

पौध उत्प्रेरक व जैविक सूक्ष्म जीवाणुओं की

खादों की भूमिकाः ज्यादा उत्पादन के लिए सबसे

पहले पौध प्रेरक और भूमि में टपका विधि द्वारा

या गोबर की खाद में या केंचुए की खाद में या

अन्य सभी प्रकार की जैविक खादों में मिलकर

जीवाणु युक्त जैव उर्वरकों का भूमि की उर्वरा

शक्ति बढ़ाने में कारगर सिद्ध होता है।

ऐसे कम करें रासायनिक खादों का खर्च

ऑर्गेनिक मैजिक तरल पदार्थ है, जिसका उपयोग पौधों पर छिड़काव करके या टपका सिंचाई विधि द्वारा भूमि में देने से पौधों पर फल लगने की क्षमता में बढ़ोतरी होती है। यह मिट्टी में जाकर पौधों को फास्फोरस भी उपलब्ध कराता है। इसके प्रयोग करने से किसानों को अतिरिक्त रासायनिक खादों पर आने वाले खर्च का बोझ नहीं उठाना पड़ेगा। ऐसे उत्प्रेरक व जैविक उर्वरकों से वातावरण में किसी भी प्रकार का प्रदूषण भी नहीं होता।

पिलेटस व डॉक्टर रूटस के प्रयोग से नई जड़ों का होगा विकास

पिलेटस व डॉक्टर रूटस का प्रयोग टपका सिंचाई विधि द्वारा करके पौधों में नई जड़ों का विकास होने में मदद मिलती है। ओपटीन, गनैक्सा, नलपाक, ग्रो केयर, कंनसोट, इफको तरल एनपीके बायोफर्टिलाइजर व सिंबियोन पोटाश, सिंबियोन नाइट्रोजन/फास्फोरस व सिंबियोन सल्फर का टपका सिंचाई विधि द्वारा प्रयोग कर सूक्ष्म तत्वों को मिट्टी के कणों से मुक्त करवाया जा सकता है।