HARYANA NEWS:प्रदेश की पहली महिला बस ड्राइवर मैहनाखेड़ा निवासी पंकज से प्रेरित बेटियां सीख रही बस चलाना
SIRSA जिले के गांव मैहनाखेड़ा निवासी पंकज प्रदेश की पहली महिला बस ड्राइवर है। उसी से प्रेरित 39 लड़कियां ने हैवी व्हीकल लाइसेंस बनवाए हैं। बस चलाना सीखकर बेटियां सेना में भर्ती होकर न केवल देश सेवा को समर्पित होने का जज्बा रखती हैं बल्कि अनेक बेटियां महिला स्पेशल बसों की ड्राइवर बनने और विदेश जाने की तैयारी में जुटीं हैं। गांव किराड़कोट की राधारानी ने सेना में जाने, गांव धांगड़ की सुमन ने रोडवेज बस ड्राइवर बनने और अलिकां की हरप्रीत ने विदेश जाने की इच्छा जाहिर की है। इन्हें हरियाणा रोडवेज ट्रेनिंग स्कूल की बस चलाते देख शिक्षण संस्थानों की छात्राएं आगे बढ़ने को प्रेरित हो रही हैं।
पेंडिंग में नहीं रखी जाती हैं महिला आवेदकों की फाइलें: धर्मपाल
हरियाणा रोडवेज डिपो सिरसा में हैवी व्हीकल ड्राइविंग लाइसेंस ट्रेनिंग स्कूल के इंचार्ज धर्मपाल मंगालिया ने बताया कि वर्ष 2015 में विभाग की ओर से स्कूल को ऑनलाइन प्रणाली से जोड़ा गया। जिसमें 15252 आवेदक ट्रेनिंग ले चुके हैं। कोरोना काल के बाद 39 महिलाओं के आवेदन आए थे। जिनमें किसी की फाइलें पेंडिंग नहीं रखी जाती। महिला महाविद्यालय की अनेक छात्राओं ने हैवी व्हीकल ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन किए हैं। जिनको प्राथमिकता के आधार पर ट्रेंनिग दिलाई जा रही है।
24 मार्गों पर महिला स्पेशल बसें, डिपो में एक मात्र महिला परिचालक
डिपो डीआई नंदलाल ने बताया कि रोडवेज प्रशासन की ओर से जिले में 24 मागों पर महिला स्पेशल बर्से संचालित हैं। इन बसों में हर दिन एक हजार छात्राएं शिक्षण संस्थानों तक आवागमन करती हैं। छात्राओं के साथ-साथ कामकाजी महिलाएं भी इन बसों में सफर कर पाती हैं। जिनसे किराया वसूला जाता है जबकि शिक्षण संस्थानों की बस पास धारक छात्राएं निशुल्क सफर करती हैं। डिपो में एक मात्र महिला परिचालक है, इसलिए बसों में महिला स्टाफ नहीं लगाया गया। हालांकि पुरूष यात्रियों को इन बसों में सवार होने की अनुमति नहीं है। महिला स्टाफ आने से स्पेशल बसों में ड्यूटी लगाई जा सकेगी।