भारत में तेजी से फैल रही नई बीमारी, ना अस्पतालों में इंजेक्शन और ना ही कोई दवाई।
भारत में एक बीमारी तेजी से फैल रही है यह बीमारी बच्चों, बुजुर्गों और जिसमें प्रतिरोधक क्षमता कम है इनका शिकार बना रही है सही कहे तो लोगों को बहरा बना रही है इस बीमारी को हमारी भाषा में गलसुआ कहते हैं अंग्रेजी में ममस कहते हैं और वैज्ञानिक भाषा में पैरा मार्क्स वायरल करते हैं डॉक्टर का मानना है कि यह बीमारी हवा से थूकने या छिंकने, नाक और गले से निकलने वाले संक्रमण और ड्रॉपलेट्स की वजह से एक दूसरे व्यक्ति में फैलती है छिकने या बातचीत करने के दौरान मौजूद संक्रमित सांस के जरिए अंदर जाती है और संक्रमण का कारण बन जाती है इस रोग से ग्रसित होने पर पैरामाइज ग्रंथियां में सूजन हो जाती है पैरमाइज ग्रंथियां एक लार ग्रंथि होती है जो कान और जबड़ो के बीच स्थित होती है इस दौरान गालों में सबसे अधिक सूजन होती है यह सूजन गाल के एक तरफ या दोनों तरफ भी हो सकती है।
यह बीमारी तेजी से क्यों फैल रही है।
यह बीमारी काफी पुरानी है लेकिन अब वह नहीं अंदाज में आई है इंडिया में से उसे भूमिका को निभाते हैं जो समाज के हित में है इसलिए इस बीमारी से आपके घर के बच्चे , बुजुर्ग और जिनकी इम्यूनिटी क्षमता कमजोर है वह सतर्क रहे ।
इस बीमारी से बचने के उपाय।
अतिरिक्त अधीक्षक डॉक्टर मनीष ग्रोवर और डॉक्टर शालिनी राठौर और डॉक्टर प्रवीन चोपड़ा शिशु रोग विशेषज्ञ ने बताया है कि बीमारी एक इंसान को दूसरे इंसान को सांस लेने से ,छिकने, खांसने से जो वायरस निकलता है उसे यह बीमारी लग सकती है यह रोग तेजी से फैलता है।
डॉक्टर ने बताया है कि इनका एक इंजेक्शन होता है जो बचपन में लगाया जाता है यह तकरीबन दो महीने से लेकर 9 साल की उम्र में कई गाइडलाइंस है जो सरकार का इंजेक्शन प्रोग्राम है इनमें आप ऑप्शन रिएक्शन है जो अगर पेरेंट्स से अपने बच्चों को लगवा सकते हैं।
क्या गर्भवती महिलाएं भी इसके संक्रमण की शिकार हो सकती है।
डॉक्टर शालिनी राठौर ने कहा है कि यह संक्रमण गर्भवती महिलाओं को बहुत ही जल्दी होता है क्योंकि गर्भावस्था के दौरान इनका इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर पड़ जाता है यदि डिलीवरी के टाइम मदर को ममस म हो जाता है तो डिलीवरी के बाद बच्चे को भी इन्फेक्शन, निमोनिया हो सकता है लेकिन बच्चों में कुछ कंट्रोल नॉर्मली नहीं आती।
बीमारी से बचने के उपाय।
नियमित साबुन से हाथ धोए।
मरीज को मार्क्स लगाना चाहिए।
इसको अन्य बच्चों से दूर रखना चाहिए।
बच्चों को समय-समय पर रूबेला का इंजेक्शन लगाना चाहिए।
संक्रमित व्यक्ति को घर में आइसोलेट करें।
मरीज के कपड़े, रुमाल व बर्तन किसी के साथ शेयर ना करें।
अगर घर में बच्चा है तो उसे MMR मेजर्स ममस रूबेला का इंजेक्शन अवश्य लगवाएं।