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कार्तिक मास की एकादशी को कैसे करें तुलसी का विवाह,पूजन विधि और शुभ मुहूर्त जानिए ।

कार्तिक मास की एकादशी को कैसे करें तुलसी का विवाह,पूजन विधि और शुभ मुहूर्त जानिए ।
 
पूजन विधि और शुभ मुहूर्त

हमारे हिंदू पंचांग के अनुसार तुलसी विवाह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है लेकिन देश के कुछ हिस्सों में तुलसी शालिग्राम का विवाह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की दरादशी तिथि को भी किया जाता है।

कब है 2024 में एकादशी तिथि।

पंचांग के अनुसार शुक्ल पक्ष के एकादशी तिथि यानी 11 नवंबर के शुरुआत 6:40 पर होगी वही तिथि का समापन 12 नवंबर को शाम 4:00 बज कर 4 मिनट पर होगा इसलिए एकादशी 12 नवंबर को मनाई जाएगी इस दिन देव उठनी एकादशी भी है और साथ ही में तुलसी विवाह का आयोजन भी किया जाएगा।

तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त।

12 नवंबर 2024 को तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त प्रदोष काल में श्याम के समय 5:29 से लेकर 7:53 तक रहेगा।

तुलसी विवाह का क्या महत्व है।

हमारे धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवउठनी एकादशी पर भगवान शालिग्राम संग तुलसी का विवाह किया जाता है 4 महीने की योग निद्रा के बाद जब भगवान विष्णु उठते हैं तो उस दिन से भी देवी देवता मिलकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं भगवान विष्णु के उठने पर चार महीने से रूके हुए सभी शुभ कार्य है फिर से शुरू हो जाते हैं इस दिन भगवान शालिग्राम संग तुलसी का विवाह किया जाता है ऐसा करने पर वैवाहिक जीवन में आ रही है बाधाए खत्म होती है और जिन लोगों के विवाह में रुकावटें आती है वह भी दूर हो जाती है शास्त्रों के अनुसार तुलसी शालिग्राम का विवाह करने पर कन्यादान के बराबर पूनय लगता है अगर किसी के विवाह में तरह-तरह की बांधा आती है या फिर विवाह बार-बार टूटता है तो इस दिन तुलसी विवाह का आयोजन शुभ माना जाता है।


कार्तिक मास की देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु के रूप में शालिग्राम और विष्णु प्रिया तुलसी का विवाह किया जाता है इस दिन महिलाएं रीति-रीवा से तुलसी वृक्ष से शालिग्राम के फेर एक सुंदर मंडप के नीचे करवाती हैं विवाह के गीत भजन व तुलसी सहित विष्णु सहस्त्रनाम के पाठ किए जाने का विधान है धार्मिक मान्यताओं के अनुसार निंद्रा से उठने के बाद भगवान विष्णु सबसे पहले तुलसी को पुकारते हैं इसलिए लोग इस दिन तुलसी का भी पूजन करते हैं और मनोकामना मांगते हैं इसलिए तुलसी विवाह को देव जागरण के पवित्र मुहूर्त के सर्वप्रथम का आयोजन कहा जाता है शास्त्रों के अनुसार तुलसी शालिग्राम विवाह करने से पुनय की प्राप्ति होती है और अपने विवाहित जीवन में सदै प्रेम बना रहता है।