गेहूं की के आरएल-210, 213, 283 और सरसों की सीएस-58, 61, 62, 64 किस्में बेहतर किसान सीएसएसआरआई से ले सकते हैं गेहूं और सरसों के बीज
करनाल स्थित केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान (सीएसएसआरआई) से लवणीय और सामान्य मिट्टी में बुवाई के लिए गेहूं और सरसों का अच्छी गुणवत्ता वाला बीज ले सकते हैं। संस्थान के निदेशक डॉ. आरके यादव ने बताया कि हरियाणा, पंजाब, राजस्थान व उत्तर प्रदेश के लवणग्रस्त (क्षारीय एवं लवणीय) भूमि वाले इलाकों के लिए सरसों व गेहूं के बीजों की बिक्री शुरू कर दी गई है। इसमें सरसों की सीएस 58, सीएस 61, सीएस 62, सीएस 64 और गेहूं की केआरएल 210, केआरएल 213, केआरएल 283 किस्में शामिल हैं। ये किस्में खारे पानी, लवणीय और क्षारीय भूमि में अधिक पैदावार देती हैं। इन किस्मों को संस्थान ने ही ईजाद किया है। किसी भी जानकारी के लिए देशभर के किसान इन नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं, इसमें 96170-15567, 70152- 41329,89507 -68677 शामिल हैं।
गेहूं की केआरएल-283 किस्म मध्यम बौनी
गेहूं की किस्म के आरएल 210 किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। एक फली में जितने गेहूं के बीज होंगे उतने बीज हर पौधे की फली में होंगे, केआरएल 213 गेहूं की किस्म केन्द्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान करनाल द्वारा विकसित की गई है।
यह किस्म सामान्य व लवण प्रभावित मृदाओं में उगाने के लिए उपयुक्त हैं इसके पौधे की औसत ऊंचाई 90-100 सेंटी मीटर होती हैं और फसल 145 दिनों में पककर तैयार होती हैं। केआरएल-283 गेहूं की किस्म उत्तर प्रदेश की नमक प्रभावित मिट्टी में खेती के लिए विकसित की गई है। यह एक मध्यम बौनी किस्म है, यह ब्रेड बनाने के लिए बहुत अच्छी है। यह लगभग 139 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।
जानिए सरसों की किस किस्म की क्या है खासियत
1. सीएस 64 लवणीय भूमि में भी देती है अच्छी पैदावारः सीएसएसआरआई
करनाल द्वारा विकसित नमक सहिष्णु भारतीय सरसों सीएस 64 अच्छी पैदावार देती है। हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के क्षारीय एवं लवणीय प्रभावित क्षेत्र में भी इसकी बिजाई कर सकते हैं, इसे जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के मैदानी इलाके में भी लगा सकते हैं। सामान्य मिट्टी में इसकी उत्पादकता 25-28 क्विंटल/हेक्टेयर है, जबकि नमक प्रभावित मिट्टी में 20-23 क्विंटल/हेक्टेयर है। यह 130-138 दिनों में पक जाती है। और बीमारियां बहुत कम आती हैं।
2. सीएम 58 सरसों की किस्स 130 दिन में होती है तैयार
सीएस 58 सरसों भी खारे पानी व लवणीय भूमि में लगाई जा सकती है। सामान्य मिट्टी में इस किस्म की उत्पादकता 26-28 क्विंटल/हेक्टेयर है, जबकि नमक प्रभावित में 20-22 क्विंटल है। यह 130-135 दिनों में पक जाती है। सीएस 58 की ऊंचाई 180-185 सेंटीमीटर है, बीमारी रोधक है।
3.सीएस 61 किस्म की 132 दिनों में पक जाती है फसल
सीएस 61 किस्म सामान्य और लवणीय मिट्टी दोनों में सरसों अच्छी पैदावार देती है। इसकी उपज सोडिक मिट्टी में 21-23 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और सामान्य में 25-28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, इसमें लगभग 39% तेल की मात्रा होती है और लगभग 132 दिनों में पक जाती है। इसकी ऊंचाई 181 सेमी होती है।
4.सीएस 62 खारे पानी में 20 से 22 क्विंटल देती है पैदावारः
सीएस 62 किस्म सीएसएसआरआई करनाल द्वारा विकसित की गई है, इस किस्म की बुआई लवणीय मिट्टी और सामान्य मिट्टी में 25 अक्टूबर तक कर सकते हैं। इसकी उपज सोडिक मिट्टी में 20-22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और सामान्य मिट्टी और पानी में 25-27 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है और इसमें लगभग 39.5 प्रतिशत तेल की मात्रा होती है। यह किस्म लगभग 136 दिनों में पक जाती है। इसके पौधों की ऊंचाई 168 सेमी होती है। यह किस्म भी बिमारी रोधक है।