CAPF: ओल्ड पेंशन पर केंद्रीय अर्ध सैनिक बलों के 12 लाख से अधिक जवानों ओर अफसरों को सुप्रीम कोर्ट ने दिया झटका।
CAPF OPS: अर्ध सैनिक केंद्रीय बलों के 12 लाख जवान और अधिकारियों के लिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से यह एक झटका है। जो सुप्रीम कोर्ट से पुरानी पेंशन मिलने की आस लगाए हुए थे। कल सर्वोत्तम अदालत ने इस मामले की सुनवाई की सुप्रीम कोर्ट ने उसे निर्देश पर रोग की पुष्टि की है जिसमें ops, ccs नियम 1972 के अनुसार केंद्रीय अर्ध सैनिक बलों केंद्रीय शस्त्र पुलिस बलों के कर्मियों पर भी लागू होने की बात कही गई थी।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति आर की पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील करने के लिए भारत संघ को अनुमति देते हुए यह आदेश पारित किया है इसके तहत सी ए पीएफ कर्मियों की याचिकाओं को निपटान उच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार किया गया था।
CAPF में OPS लघु करने के लिए यह सिखाएं पवन कुमार तथा अन्य कई लोगों द्वारा लगाई गई थी।
पवन कुमार मामले में यह माना गया था कि केंद्रीय अर्ध सैनिक बल संघ के शस्त्र बल है। ऐसे में old pension scheme उन पर भी लागू होता है. सुप्रीम कोर्ट(supreme court) के समक्ष हुई संक्षिप्त सुनवाई में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने बताया है कि याचिका करता देश की रक्षा करने वाले बालों के साथ समानता की मांग कर रहे थे।
उनसे न्यायालय ने भी माना है कि ops(old pension scheme) का लाभ पवन कुमार मामले में यह माना गया कि केंद्रीय अर्ध सैनिक बल संघ के शस्त्र बल है। Old pension scheme (ops) उन पर भी लागू होती है। सुप्रीम कोर्ट(supreme court) के समक्ष हुई संक्षिप्त सुनवाई में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी(solicitor general Aishwarya Bhati) ने बताया कि याचिका करता देश की रक्षा करने वाले बालों के साथ समानता की मांग कर रहे थे। उच्च न्यायालय ने यह माना है कि OPS (OLD PENSION SCHEME) का लाभ capf कर्मियों पर भी लागू होगा। दूसरी ओर सीनियर एडवोकेट ने प्रतिवादियों की ओर से अनुरोध किया कि इस मामले में एक निश्चित तारीख दे दी जाए सुप्रीम कोर्ट ने उनके अनुरोध को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया है गया कि मामला इतना जरूरी नहीं है इसकी सुनवाई में कुछ समय लगेगा वह 6 से 8 सप्ताह बाद जल्दी सुनवाई के लिए एप्लीकेशन मूव(application move) कर सकते हैं।
Capf के 11 लाख जवानों और अधिकारियों ने पिछले वर्ष old pension scheme बहाली के लिए दिल्ली हाई कोर्ट से अपने हक की लड़ाई जीत ली थी इसके बाद केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को लागू नहीं किया। इस मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से सेट ले लिया था जब केंद्र सरकार ने सटे ले लिया तभी यह बात साफ हो गई थी कि सरकार के capf को पुरानी पेंशन के दायरे में नहीं लाना चाहती है। जिसमें सबसे बड़ी हैरानी की बात तो यह है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने पहले आए फैसले में 11 जनवरी 2023 को केंद्रीय अर्ध सैनिक बलों capf को भारत संघ के शस्त्र बल मान लिया था। दूसरी तरफ केंद्र सरकार सिविलियन फोर्स बताती है।
कोर्ट ने इन बलों में लागू नई पेंशन स्कीम को स्ट्राइक डाउन करने की बात कही। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि चाहे कोई आज इन बलों में भर्ती हुआ हो, या पहले कभी भर्ती हुआ हो या आने वाले समय में भर्ती होगा। ओल्ड पेंशन स्कीम (ops) के दायरे में आएंगे।
सर्वोच्च न्यायालय ने गत वर्ष इस मामले की सुनवाई के समय कहा था याचिका करता विशेष अनुमति याचिका में संशोधन भी कर सकते हैं कोई नया दस्तावेज जोड़ सकते हैं।
सीएपीएफ(capf) पर भारतीय सेना
के कानून लागू होते हैं, फोर्स के नियंत्रण का आधार भी
सशस्त्र बल है। इन बलों के लिए जो सर्विस रूल्स तैयार
किए गए हैं, उनका आधार भी फौज है। इन सारी बातों
के होते हुए भी केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को ops
से वंचित किया गया है। दिल्ली उच्च न्यायालय भी यह
मान चुका है कि केंद्रीय अर्धसैनिक बल(CAPF )'सीएपीएफ',
'भारत संघ के सशस्त्र बल' हैं। केंद्र सरकार, कई माय
में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को सशस्त्र बल मानने को
तैयार नहीं होती। capf(सीएपीएफ) में पुरानी पेंशन का मुद्दा भी
इसी चक्कर में फंसा हुआ है। एक जनवरी 2004 के
बाद केंद्र सरकार की नौकरियों में भर्ती हुए सभी कर्मियों
को ops के दायरे से बाहर कर उन्हें nps
में शामिल कर दिया गया। इसी तर्ज पर capf
जवानों को सिविल कर्मचारी मानकर उन्हें भी एनपीएस
दे दिया गया।
उस वक्त सरकार का मानना था कि देश में सेना, नेवी और वायु सेना ही 'सशस्त्र बल' हैं। BSF ACT. 1968 में भी कहा गया है कि इस बल का गठन 'भारत संघ के सशस्त्र बल' के रूप में हुआ है। इसी तरह CAPF के बाकी बलों का गठन भी भारत संघ के सशस्त्र बलों के रूप में हुआ है। कोर्ट ने माना है कि CAPF भी भारत के सशस्त्र बलों में शामिल हैं। इस लिहाज से उन पर NPS लागू नहीं होता है। केंद्रीय गृह मंत्रालय, Indian government द्वारा 6 अगस्त 2004 को जारी पत्र में घोषित किया गया है कि गृह मंत्रालय के > प्रशासनिक नियंत्रण के तहत केंद्रीय बल, 'संघ के सशस्त्र बल' हैं।
Capf के जवानों और अधिकारियों का कहना है कि केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में फौजी महकमे वाले सभी कानून लागू होते हैं। सरकार खुद मान चुकी है कि ये बल तो भारत संघ के सशस्त्र बल हैं। इन्हें अलाउंस भी सशस्त्र बलों की तर्ज पर मिलते हैं। इन बलों में कोर्टमार्शल(court Marshal) का भी प्रावधान है। इस मामले में सरकार दोहरा मापदंड अपना रही है। अगर इन्हें सिविलियन मानते हैं तो आर्मी की तर्ज पर बाकी प्रावधान क्यों हैं। फोर्स के नियंत्रण का आधार भी सशस्त्र बल है। जो सर्विस रूल्स हैं, वे भी सैन्य बलों की तर्ज पर बने हैं। अब इन्हें सिविलियन फोर्स( civilian force) मान रहे हैं तो ऐसे में ये बल अपनी सर्विस का निष्पादन कैसे करेंगे। इन बलों को शपथ दिलाई गई थी कि इन्हें जल, थल और वायु में जहां भी भेजा जाएगा, ये वहीं पर काम करेंगे। सिविल महकमे के कर्मी तो ऐसी शपथ नहीं लेते हैं।