OpsBreaking

वैज्ञानिक पद्धति से फूलगोभी की शंकर प्रजातियों की बुआई कर पाएं अधिक उत्पादन, 15 अक्टूबर तक ही सही समय

वैज्ञानिक पद्धति से फूलगोभी की शंकर प्रजातियों की बुआई कर पाएं अधिक उत्पादन, 15 अक्टूबर तक ही सही समय
 
फूलगोभी की शंकर प्रजातियों

हरियाणा में फूलगोभी के लिए पांच अलग-अलग तरह के मौसम उत्तम माने जाते हैं। अर्ली सेगमेंट, मिड सेगमेंट, मिड लेट सेगमेंट, लेट सेगमेंट और मिड मिड लेट सेगमेंट है। अक्टूबर का समय मिड सेगमेंट का बुवाई व रोपाई का सही समय है। डॉक्टर सुरेश कुमार अरोड़ा पूर्व अध्यक्ष सब्जी विज्ञान विभाग हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार ने बताया कि कुछ ऐसी शंकर प्रजातियां हैं जिनका संबंध मिडलेट वर्ग के साथ है।

इनकी बुवाई का सही समय 15 अक्टूबर तक है। जबकि मिड सेगमेंट वर्ग की शंकर प्रजातियां मिड लेट वर्ग की शंकर प्रजातियों से भिन्न होती हैं। 1 एकड़ के लिए फूलगोभी की पौध तैयार करने के लिए लगभग 70 से 80 ग्राम बीज काफी रहता है।

पौध की रोपाई करने का तरीकाः पौध की उम्र लगभग 25 से 30 दिन की होनी चाहिए। डोली से डोली का अंतर 60 से 65 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 45 से 50 सेमी की होनी चाहिए। पौधों की रोपाई दोपहर बाद करें। पौधशाला को हरे रंग के छायादार प्लास्टिक के जाल से ढक कर रखें।


शंकर प्रजातियों का चयन अनिवार्य

शंकर प्रजातियों का सही चयन जरूरी है। थोड़ी सी गलती होने से फूलगोभी में या तो पत्ते ही निकलते हैं या छोटे-छोटे आकार के अधूरे अविकसित गोभी के फूल निकलते हैं। मिड सेगमेंट की शंकर प्रजातियों में पौंडरेट, नलिनी, रागिनी, मायूरी, सुहासिनी, स्नो व्हाइट, गिरिजा आदि का प्रमुख स्थान है जबकि मिड लेट वर्ग की फूलगोभी की शंकर प्रजातियों मे माही, फूलगोभी नंबर 106, फूलगोभी नंबर 1024, बिशप, फूलगोभी नंबर 256, फूलगोभी नंबर 1522, कैस्पर आदि प्रमुख किस्में हैं।

सही ढंग से करें सिचाईंः पौध की रोपाई के बाद तुरंत डोलियों के बीच बनी नालियों में सिंचाई करनी चाहिए ताकि रात के समय पानी की नमी आसानी से पौधों की जड़ों तक पहुंच सके। वहीं, बरसात के मौसम को देखते हुए दूसरा तीसरा पानी जरूरत अनुसार दें।