हरे चारे के लिए कई कटाई वाली जई एचएफओ-114 की करें बिजाई, पैदावार है 220-240 क्विंटल प्रति एकड़
रबी सीजन में जई हरे चारे की अहम फसल है। सिंचित, कम सिंचाई वाले इलाकों में इसकी खेती आसानी से की जा सकती है। जई के हरे चारे में 8-10% प्रोटीन, 18-23% शुष्क पदार्थ व 55-60% पाचनशीलता होती है। सर्दियों में हरे चारे को बरसीम या गेहूं के भूसे के साथ मिलाकर पशुओं को खिलाया जाता है। अनेक-कटाई वाली किस्मों के कारण इसके हरे चारे की उपलब्धता ज्यादा समय तक बनी रहती है। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने बताया कि जई की अधिक पैदावार लेने को किसानों को उन्नत किस्मों पर ध्यान देना होगा। चारा अनुभाग के वैज्ञानिक डॉ. सतपाल ने
बताया कि हल्के बीजों वाली किस्मों का 30 किलोग्राम एवं मोटे बीजों वाली किस्मों का बीज 40 किलोग्राम प्रति एकड़ प्रयोग करें। जई की बिजाई 22-25 सेंटीमीटर चौड़ी लाइनों में पोरा विधि द्वारा करनी चाहिए।
जई की बिजाई का उचित समय पूरा नवंबर माह है। जई की फसल में 16 किलोग्राम नाइट्रोजन 35 किलोग्राम यूरिया बिजाई के समय तथा 16 किलोग्राम नाइट्रोजन पहली सिंचाई के एक महीने बाद देनी चाहिए
जई के लिए रेतीली-दोमट मिट्टी होती है उपयुक्त इसकी सफल खेती के लिए रेतीली-
अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने बताया कि दोमट भूमि सबसे उपयुक्त होती है। यह लूणी व सेम वाली भूमियों में नहीं उगाई जा सकती। जई की ओएस 6, ओएस 7, ओएस 403 व एचएफओ 607 एक कटाई वाली उन्नत किस्में समस्त हरियाणा के लिए उपयुक्त हैं। एचएफओ 114 अनेक कटाई देने वाली किस्म है, जो जल्दी-जल्दी बढ़ती है। इसके दाने मोटे होते हैं तथा हरे चारे की पैदावार 220-240 क्विंटल प्रति एकड़ है। दो कटाई वाली एचजे 8 किस्म के हरे चारे की पैदावार लगभग 240-280 क्विंटल प्रति एकड़ है। इसकी पत्तियां बहुत चौड़ी होती हैं।