बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के विरोध में सामाजिक संगठनों ने जींद शहर में किया प्रदर्शन
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग तत्काल हस्तक्षेप कर बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्यचार को रोके
सामाजिक संगठनों ने विरोध प्रदर्शन के बाद राष्टपति व प्रधानमंत्री को भेजा ज्ञापन
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार व ज्यादतियों के विरोध में सनातन रक्षा मंच के बैनर तले जिले के रविवार को विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, एबीवीपी, आर्य समाज, गौरक्षा दल, जयति-जयति हिंदू संगठन, विमुक्त घुमंतू जनजाति कल्याण संघ, पूर्व सैनिक संघ, संत समाज सहित दर्जनभर से ज्यादा संगठनों द्वारा शहर में विरोध प्रदर्शन किया गया।
प्रदर्शन के बाद उपायुक्त के माध्यम से राष्टÑपति, प्रधानमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया गया।
प्रदर्शन से पूर्व सभी सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी व कार्यकर्ता रानी तालाब स्थित नेहरु पार्क में एकत्रित हुए। यहां कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए राष्टÑीय स्वयंसेवक संघ के विभाग सह संघचालक घनश्याम, जिला संघचालक तिलक, नगर परिषद की चेयरपर्सन अनुराधा सैनी, धर्मेश्वर गिरी, केवलानंद, परेश्मर गिरी, स्वामी सदानंद महाराज, योगी सुखदेव महाराज, श्याम नाथ, रोनक गिरी, सेवानिवृत्त कैप्टन आर.एस. रेढू ने अपने-अपने विचार रखते हुए कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदू समुदाय पर गंभीर अत्याचार हो रहे हैं।
भारत देश के पड़ोसी देश बांग्लादेश में 5 अगस्त 2024 को लोकतान्त्रिक तरीके से कुछ माह पहले चुनी हुई शेख हसीना सरकार पर उस देश के कुछ असामाजिक तत्वों, कट्टरपंथियों द्वारा अलोकतान्त्रिक तरीके से कब्जा कर लिया गया और प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपना ही देश छोड़ अन्य देशों में शरण लेने के लिए भटकना पड़ा। आरक्षण के नाम पर शुरू हुआ आंदोलन कट्टरपंथियों के हाथ में चला गया और धर्म के नाम पर दंगे भड़काये गए। वहां का अल्पसंख्यक समुदाय जैन, बौद्ध, सिक्ख, इसाई, हिन्दू सभी आज भी असुरक्षित व भयांकित हैं। वहां हो रहे दंगों में विशेषकर हिन्दुओं को निशाना बनाया गया है। इन हमलों से न केवल उनकी धार्मिक स्वतंत्रता और मौलिक अधिकार खतरे में है, बल्कि यह एक गहरी मानवीय त्रासदी बन गई है। कार्यकारी सरकार अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर पा रही है।
ऐसा लग रहा है कि वहां का प्रशासन कट्टरपंथियों के हाथ में हो। सेना व पुलिस प्रशासन अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान करने की बजाय कट्टरपंथियों का सहयोगी ही दिखाई दे रहा है। अल्पसंख्यकों की सरेआम हत्याएं की जा रही हैं, बलात धर्मपरिवर्तन करवाया जा रहा है, महिलाओं के साथ दुराचार हो रहा है, अल्पसंख्यकों के पूजास्थलों को नष्ट किया जा रहा है, देवमूर्तियों को खंडित किया जा रहा है। चारों तरफ भय का वातावरण है। अन्याय का शान्तिपूर्ण तरीके से विरोध करने पर इस्कॉन मंदिर के संत चिन्मय कृष्ण दास को गिरफ्तार कर लिया गया है तथा उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश जब भारत से अलग हुआ उस समय बांग्लादेश में 27 प्रतिशत हिंदू थे लेकिन अब वहां हिंदुओं की संख्या घटकर महज 5 प्रतिशत रह गई है।
इसी प्रकार पाक में हिंदुओं की संख्या घटकर 1 प्रतिशत रह गई है। उन्होंने हिन्दुओं को एक होने का आह्वान करते हुए कहा कि हिंदुओं को जाति में बंटकर अलग होने की बजाए एक होना होगा। ताकि हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को रोका जा सके। उन्होंने राष्टÑपति व प्रधानमंत्री को भेजे गए ज्ञापन में मांग करते हुए कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं के धार्मिक स्थलों की सुरक्षा की जाए, महिलाओं के साथ हो रही बलात्कार जैसी घिनौनी घटनाओं को रोका जाए, अल्पसंख्याकों को सुरक्षा प्रदान की जाए, दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए, भारत सरकार इस मामले को प्राथमिकता से उठाए और बांग्लादेश सरकार के साथ कूटनीतिक चर्चा कर हिंदू सहित सभी अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करे। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग और महासचिव इस विषय पर तत्काल हस्तक्षेप करें और बांग्लादेश पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव डालें। भारत में आने वाले सभी अल्पसंख्यक सहित हिन्दू शरणार्थियों को सुरक्षा और पुनर्वास प्रदान करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। बांग्लादेश में धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों का सख्ती से पालन करवाया जाए। इस्कॉन मंदिर के संत चिन्मय कृष्ण दास को शीघ्र रिहा किया जाए।