OPS BREAKING : पुरानी पेंशन बहाली पर प्रधानमंत्री से बैठक के होने से पूर्व ही कर्मचारी संगठन में हुए दो फाड़।
केंद्र एवं राज्यों के कर्मचारी संगठन, ops के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। इस बाबत रामलीला
मैदान में कर्मचारियों की कई रैलियां हो चुकी हैं। जंतर मंतर
पर विरोध प्रदर्शन किए गए हैं। कर्मचारी संगठनों ने कई बार
Pm से मिलने का आग्रह किया था। हालांकि पीएम
मोदी खुद, सार्वजनिक मंचों से ops बाबत अपनी राय दे
चुके हैं। Pm ने उन राज्य सरकारों पर भी निशाना साधा था,
जिन्होंने ops लागू की है। इसके अलावा, केंद्र सरकार
कई बार कह चुकी है कि 'पुरानी पेंशन' बहाली(ops) संभव नहीं है।
ज्वाइंट फोरम फॉर रेस्टोरेशन ऑफ ops
(Jfrops) नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन
(Njca) के कन्वीनर शिव गोपाल मिश्रा एवं को-कन्वीनर
डॉ. एम. राघवैया ने 29 फरवरी को ओपीएस बाबत
Pm Narendra Modi को एक पत्र लिखा था।
इस पत्र में बताया गया कि केंद्र एवं राज्यों के सरकारी कर्मिय ने ओपीएसops(ops) बहाली की मांग को लेकर एक मई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है। कर्मियों को गारंटीकृत पुरानी पेंशन ही चाहिए। सरकार, बिना गारंटी वाली योजना 'एनपीएस' npsको समाप्त करे।
जेएफआरओपीएस jfrops ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री मोदी को 10 अगस्त 2023 को भेजे ज्ञापन का हवाला देते हुए कहा है, कर्मियों को विश्वास है कि सरकार, एनपीएस npsको खत्म करने औरccs(पेंशन) नियम, 1972 (अब 2021) के तहत गारंटीकृत पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल करेगी।
Jfrops ने pm मोदी से मिलने का समय मांगा था। हालांकि बाद में केंद्र सरकार के इस आग्रह पर कि वित्त मंत्रालय की कमेटी को कुछ वक्त दे दिया जाए, कर्मचारी संगठनों ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल वापस ले ली थी।
अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी. श्रीकुमार के मुताबिक, उनका संगठन प्रधानमंत्री के साथ होने वाली बैठक में हिस्सा नहीं लेगा। वजह, बैठक में ओपीएस पर नहीं, बल्कि एनपीएस पर ही बातचीत होगी। एआईडीईएफ, पहले ही कह चुका है कि उसे एनपीएस में सुधार मंजूर नहीं है। कर्मचारियों को ओपीएस ही चाहिए। बता दें कि अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ ने नॉर्थ ब्लॉक में 15 जुलाई को हुई वित्त मंत्रालय की कमेटी की बैठक का भी बहिष्कार किया था। वित्त मंत्रालय ने पुरानी पेंशन पर बातचीत करने के लिए स्टाफ साइड (नेशनल काउंसिल, जेसीएम) के प्रतिनिधियों की बैठक बुलाई थी। इस बैठक में भी एनपीएस पर बातचीत हुई थी।
एआईडीईएफ के अध्यक्ष एसएन पाठक और महासचिव सी. श्रीकुमार का कहना था, कर्मियों को केवल 'गारंटीकृत पुरानी पेंशन' ही चाहिए। उन्हें एनपीएस में सुधार मंजूर नहीं है। केंद्र एवं और राज्य सरकारों के 6 करोड़ से अधिक कर्मचारी, एनपीएस को खत्म करने और पुरानी पेंशन योजना के तहत पेंशन बहाल करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
मोदी 2.0 सरकार ने एनपीएस में सुधार की सिफारिश के लिए वित्त सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था। एआईडीईएफ के कर्मचारी पक्ष ने राष्ट्रीय परिषद 'जेसीएम' और वित्त मंत्रालय की समिति को ज्ञापन सौंपकर एनपीएस में किसी भी तरह के सुधार की बात को खारिज कर दिया था। अब एआईडीईएफ ने पीएम मोदी की बैठक का भी बहिष्कार का दिया है।
केंद्र सरकार के एक बड़े कर्मचारी संगठन, कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स ने 15 जुलाई की बैठक से पहले जेसीएम के सचिव शिव गोपाल मिश्रा को पत्र लिखकर सूचित कर दिया था कि कर्मियों को ओपीएस से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। वे एनपीएस की समाप्ति और गारंटीकृत ओपीएस की बहाली चाहते हैं। कॉन्फेडरेशन के महासचिव एसबी यादव कहते हैं, ओपीएस में पेंशन की गारंटी है। कर्मचारी को एक रुपया दिए बिना ही यह सुविधा मिलती है। हालांकि कॉन्फेडरेशन के दो सदस्य, प्रधानमंत्री के साथ होने जा रही बैठक में शिरकत करेंगे, मगर हमारा एजेंडा क्लीयर है।
एनपीएस में सुधार पर कोई बातचीत नहीं होगी। कर्मचारियों को केवल गारंटीकृत पेंशन ही चाहिए।
कॉन्फेडरेशन ने 19 जुलाई को लंबित मांगों को लेकर देशभर
में विरोध प्रदर्शन किया था। कर्मियों की मांगों में पुरानी पेंशन
बहाली, आठवें वेतन आयोग का गठन, केंद्र सरकार में खाली
पड़े 10-12 लाख पदों को भरना, 18 माह के डीए का एरियर
जारी करना, रेस्टोरेशन कम्युटेशन ऑफ पेंशन की अवधि को
15 वर्ष से घटाकर 12 वर्ष करना, अनुकम्पा नियुक्ति पर लगी
पांच प्रतिशत की सीमा को खत्म करना व आउटसोर्स एवं
अनुबंध आधारित नियुक्तियों पर रोक लगाना आदि शामि
थी। बतौर बीएस यादव, आज भी कॉन्फेडरेशन अपनी मांगों
पर कायम है। पीएम के साथ होने वाली बैठक में भी
कॉन्फेडरेशन उक्त सभी मुद्दे रखेगा।