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निजी क्षेत्र के कर्मचारियों की पेंशन में सुधार समय की जरूरत,

निजी क्षेत्र के कर्मचारियों की पेंशन में सुधार समय की जरूरत,
 
improving pension

केंद्र सरकार की यूनिफाइड पेंशन स्कीम (ups) से 23 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और राज्यों की तरफ से भी इस स्कीम के लागू होने पर 90 लाख राज्य कर्मचारियों को इसका लाभ मिलेगा। दूसरी तरफ देश में संगठित निजी क्षेत्र के करीब 78 लाख कर्मियों को अब भी एक हजार रुपये प्रतिमाह की न्यूनतम पेंशन से ही गुजारा करना पड़ रहा है। यूपीएस की घोषणा के बाद ट्रेड यूनियन निजी सेक्टर के कर्मियों के लिए भो प्रतिमाह 10 हजार रुपये से अधिक की पेंशन को लेकर आवाज उठाने की तैयारी कर रही है। निजी सेक्टर के कर्मियों को भविष्य निधि (pf) फंड से पेंशन दी जाती है, जिसका संचालन कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (epfo) करता है।

इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक) के महासचिव संजय कुमार सिंह ने बताया कि निजी सेक्टर के कर्मियों कोन्यूनतम पेंशन प्रतिमाह 10 हजार करने की हमारी मांग पुरानी है। यूपीएस के एलान के बाद हम निजी सेक्टर के कर्मियों के लिए भी सरकार से ऐसी स्कीम की मांग करने जा रहे हैं। निजी सेक्टर के कर्मी भी इनकम टैक्स देते हैं। जीडीपी में योगदान देते हैं। उन्हें भी सम्मानजनक पेंशन मिलनी चाहिए। केंद्रीय कर्मियों के लिए सरकार पेंशन फंड में अब 18.5 प्रतिशत योगदान देगी, तो निजी सेक्टर के कर्मियों के लिए भी ऐसा कर सकती है।

हर साल एक करोड़ से अधिक निजी क्षेत्र के श्रमिक ईपीएफओ से जुड़ रहे हैं।

विशेषज्ञों के मुताबिक हर साल एक करोड़ से अधिक निजी क्षेत्र के श्रमिक ईपीएफओepfo से जुड रहे हैं, जिनके लिए सिर्फ एक हजार रुपये की न्यूनतम पेंशन की व्यवस्था है। सरकारी आकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2017 के सितंबर से लेकर इस साल मार्च तक ईपीएफ से जुड़ने वाले कर्मचारियों की संख्या 6.3 करोड़ रही। वित्त वर्ष 2023- 24 में ही 1.31 करोड़ लोग ईपीएफ(epf) से जुड़े, जबकि सरकारी कर्मचारियों की नेशनल पेंशन स्कीम (nps) से इस अवधि में सिर्फ 7.75 लाख कर्मचारी जुड़े। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ईपीएफओ की तरफ से निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को सम्मानित पेंशन देने के लिए एक स्कीम लाई गई थी, जिसके तहत उन्हें भी अंतिम मूल मूल वेतन का लगभग 30 प्रतिशत पेंशन के रूप में देने की बात थी, पर अब तक इस दिशा में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है। निजी सेक्टर के कर्मियों की न्यूनतम पेंशन की मांग पर वित्त मंत्रालय वर्षों से विचार कर रहा है। मंत्रालय की दलील है कि एक हजार रुपये की न्यूनतम पेंशन सुनिश्चित करने के लिए सरकार पर सालाना चार हजार करोड़ का बोझ आता है और यह राशि बढ़ती है, तो बोझ और बढ़ेगा।