धान की फसल में नमक का छिड़काव कितना है फायदेमंद जाने एक्सपर्ट की राय।
किसान भाइयों धान की रोपाई करने के बाद अब उनकी देखभाल और वृद्धि का समय आ गया है ऐसे समय में किसानों को नियमित रूप से खेत का निरीक्षण करना चाहिए ताकि फसल को मौसमी कीड़ों से बचाया जा सके सही मात्रा में खाद और पानी देने से फसल की पैदावार बढ़ाई जाती है धान के फसल में बीमारी और कीट लगने का खतरा अन्य फसलों से ज्यादा रहता है किसान अपनी फसल को बीमारी और कीड़ों से बचाने के लिए कई तरह की रासायनिक खादों का इस्तेमाल करता है जिससे उनकी फसल स्वस्थ रहे और अच्छी पैदावार दे
धान की फसल में नमक का छिड़काव कितना है फायदेमंद।
किसान भाई खेत में नियमित निगरानी उचित खादऔर पानी की आपूर्ति के साथ-साथ फसल को रोग और कीड़ों से बचने के कई तरह के उपाय करता है इन उपायों में कई बार रासायनिक और जैविक खादों का प्रयोग किया जाता है कुछ किसान भाई धान की फसल में नमक का छिड़काव भी करते हैं नमक में ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो धान की फसल को मौसमी कीड़ों से बचाने में मदद करते हैं .
और किसानों को बेहतर उत्पाद देने में सहायता मिलती है लेकिन यह विधि फायदेमंद है या नुकसानदायक जानिए कृषि विशेषज्ञ से
कृषि के क्षेत्र में कई वर्षों का अनुभव रखने वाले रायबरेली जिले के राजकीय कृषि केंद्र शिवगढ़ के प्रभारी अधिकारी श्री शिव शंकर वर्मा जी कहते हैं कि किसान अपनी धान की फसल को किटों से बचाने के लिए कई तरह की रासायनिक और जैविक कीटनाशक का प्रयोग करता है इसके अलावा वह फसल की अच्छी पैदावार लेने के लिए कई प्रकार के रासायनिक और जैविक उर्वरकों का भी प्रयोग करते हैं कृषि विशेषज्ञ का मानना है कि धान की फसल में नमक का छिड़काव करने से जड़ गलन और खेरा रोग जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है साथ ही खेत में नमी बनी रहती है .
धान की फसल को पानी की अधिक जरूरत होती है इसलिए नमक का छिड़काव फसल के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है उनका मानना है कि खेतों में नमक का छिड़काव रोगों से फसल की रक्षा करना है लेकिन लगातार इनके प्रयोग से खेत की मिट्टी बंजर हो जाती है जिसे फसल उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है नमक की मात्रा के उपयोग से मिट्टी का पीएच क्षत्र बढ़ जाता है और भूमि में लवण्य तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है इसलिए किसी कीटनाशक या रासायनिक का प्रयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञ से जानकारी अवश्य लें विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार ही सही मात्रा में सामग्री का प्रयोग करना आवश्यक है।