धरम दी किरत करनी, दसवंड देना गुरुद्वारा सिंह सभा में गुरू गोबिंद सिंह के प्रकाश पर्व पर हुआ धार्मिक समागम
धरम दी किरत करनी, दसवंड देना गुरुद्वारा सिंह सभा में गुरू गोबिंद सिंह के प्रकाश पर्व पर हुआ धार्मिक समागम
Jan 8, 2025, 08:29 IST

शहर के झांझ गेट स्थित गुरुद्वारा सिंह सभा में गुरू गोबिंद सिंह के प्रकाश पर्व की खुशी में सायंकालीन धार्मिक समागम का आयोजन किया गया। गुरूघर के प्रवक्ता बलविंदर सिंह ने बताया कि समागम में सबसे पहले गुरुद्वारा साहिब के हजूरी रागी भाई गुरदित्त सिंह के रागी जत्थे द्वारा गुरबाणी कीर्तन गायन किया गया। इसके पश्चात प्रसिद्ध कथा वाचक ज्ञानी कोमल सिंह ने गुरू गोबिंद सिंह के परिवार की शहादत का वर्णन करते हुए बताया कि गुरु गोबिंद सिंह जी का मानना था कि समाज के हर व्यक्ति को एक समान देखा जाना चाहिए। उनका कहना था कि लोगों को चोरी और धोखाधड़ी से बचना चाहिए। गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने अनुयायियों को वचन दिया था कि अगर आप किसी को वचन देते हैं, तो उस पर खरे उतरें और उसका पालन करें। हजूरी रागी भाई प्रेम सिंह परदेशी शब्द कीर्तन गायन करते हुए कहा कि
भौतिक सुख, सुविधाओं में नहीं उलझें। हर पीड़ित की सेवा और सुरक्षा करें। अच्छे कर्मों से इंसान को जीवन में सच्चा गुरु मिलता है और गुरु के मार्गदर्शन से भगवान मिलते हैं।
गुरूघर प्रवक्ता बलविंद्र सिंह ने कहा कि धरम दी किरत करनी, दसवंड देना यानी अपनी कमाई का दसवां हिस्सा दान में दें। कम करन विच दरीदार नहीं करना यानी काम में खूब मेहनत करें और कोताही न बरतें। धन, जवानी, तै कुल जात दा अभिमान नै करना यानी अपनी जवानी, जाति और कुल धर्म को लेकर घमंडी होने से बचें। गुरु गोबिंद सिंह जी ने बताया था कि महान सुख और स्थायी शांति तभी मिल सकती है, जब हम अपने भीतर से स्वार्थ को समाप्त कर देते हैं। समागम के अंत में गुरुद्वारा सच्चा सौदा के हजूरी रागी भाई प्रेम सिंह परदेसी ने गुरु ग्रंथ साहिब में दर्ज गुरू गोबिंद सिंह की रचनाओं को गुरबाणी शब्दों में पिरोकर संगतो को सुना कर निहाल कर दिया। समागम के पश्चात गुरू का अटूट लंगर संगतों में बरताया गया। इस अवसर पर गुरुद्वारा प्रधान किरपाल सिंह, टहल सिंह, हरबंस सिंह, शोभा सिंह व दर्शन सिंह इत्यादि उपस्थित रहे।
भौतिक सुख, सुविधाओं में नहीं उलझें। हर पीड़ित की सेवा और सुरक्षा करें। अच्छे कर्मों से इंसान को जीवन में सच्चा गुरु मिलता है और गुरु के मार्गदर्शन से भगवान मिलते हैं।
गुरूघर प्रवक्ता बलविंद्र सिंह ने कहा कि धरम दी किरत करनी, दसवंड देना यानी अपनी कमाई का दसवां हिस्सा दान में दें। कम करन विच दरीदार नहीं करना यानी काम में खूब मेहनत करें और कोताही न बरतें। धन, जवानी, तै कुल जात दा अभिमान नै करना यानी अपनी जवानी, जाति और कुल धर्म को लेकर घमंडी होने से बचें। गुरु गोबिंद सिंह जी ने बताया था कि महान सुख और स्थायी शांति तभी मिल सकती है, जब हम अपने भीतर से स्वार्थ को समाप्त कर देते हैं। समागम के अंत में गुरुद्वारा सच्चा सौदा के हजूरी रागी भाई प्रेम सिंह परदेसी ने गुरु ग्रंथ साहिब में दर्ज गुरू गोबिंद सिंह की रचनाओं को गुरबाणी शब्दों में पिरोकर संगतो को सुना कर निहाल कर दिया। समागम के पश्चात गुरू का अटूट लंगर संगतों में बरताया गया। इस अवसर पर गुरुद्वारा प्रधान किरपाल सिंह, टहल सिंह, हरबंस सिंह, शोभा सिंह व दर्शन सिंह इत्यादि उपस्थित रहे।