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धान के बाद ठंड के मौसम में जुचीनी और चप्पन कद्दू की फसल उगाकर अच्छा मुनाफा ले सकते हैं किसान

धान के बाद ठंड के मौसम में जुचीनी और चप्पन कद्दू की फसल उगाकर अच्छा मुनाफा ले सकते हैं किसान
 
जुचीनी और चप्पन कद्दू

धान की फसल कटने के बाद हरियाणा के सभी जिलों में किसान जुचीनी या गोल चप्पन कद्दू की खेती फसल चक्र (क्रॉप रोटेशन) के रूप में अपनाई जाने वाली एक अच्छी विधि है।

क्योंकि बढ़ती हुई ठंड के मौसम जुचीनी चप्पन कहू और गोल चप्पन कद्दू का सफल उत्पादन के लिए उपयुक्त होता है। यह दो फसले ऐसी हैं, जिनकी बिजाई नवंबर से लेकर जनवरी के अंत तक कर सकते हैं। इन दोनों फसलों ठंड के प्रति प्रतिरोधक इतनी होती है कि जिसके चलते लगातार घटते तापमान के अंदर भी इनकी बेलों पर पत्तों की वानस्पतिक वृद्धि, फूल आना और फलत का लगना जारी रहता है। ऐसे में सभी बेल वाली सब्जियों के साथ यदि इनकी तुलना की जाए तो जुचीनी और गोल चप्पन कद्दू ऐसी फसलें हैं, किसान जिनका सदर्दी के मौसम में उत्पादन लेकर अच्छी खासी आमदनी ले सकता है।

डॉक्टर सुरेश कुमार अरोड़ा, पूर्व अध्यक्ष सब्जी विज्ञान विभाग हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) हिसार ने कहा कि इन फसलों का अधिक उत्पादन लेने के लिए किसान तकनीकी बातों पर ध्यान दें।

इन दोनों फसलों की पौध की रोपाई अक्टूबर से लेकर नवंबर, दिसंबर, जनवरी के अंत तक करने के उपरांत पूरे सर्दियों में हरी भरी कच्ची फसल प्राप्त की जा सकती है। जुचीनी और गोल चप्पन कद्दू की उन्नतशील शंकर प्रजातियों को ही चुने। इनमें जुचीनी चप्पन कहू में कैथरीना, चैंपियन, कोरा, चाउंगमा, प्रियंका और जनक प्रभावशाली किस्मे है। गोल चप्पन कद्दू में लोईस, ग्रीन बॉल, किंग, चांद, डॉन 17, रॉकी, चंद्रिका और राजा उन्नतशील शंकर प्रजातियां हैं।

बिजाई का ढंगः रोपाई के अलावा नवंबर से फरवरी तक इन दोनों फसलों की सीधी बिजाई भी कर सकते हैं। इसके लिए तैयार खेत में ऊपर उठे मैड बनाकर उनके बीच टपका सिंचाई की दो नालियां बिछा दें। फिर प्लास्टिक मल्चिंग या कवरिंग शीट जो नीचे से काली होती है व ऊपर से सिल्वर कलर की होती है उससे पूरे मैड को ढक देना चाहिए। प्लास्टिक मल्च के छिद्रों में बीज की सीधी बीजाई या पौधारोपण 45 से 50 सेमी की दूरी पर करना चाहिए।