हरियाणा समेत कई राज्यों में डीएपी संकट, स्टॉक और आयात आधा,देश में हर माह 4 लाख टन डीएपी का ही उत्पादन

पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, यूपी व मध्य प्रदेश समेत अनेक राज्यों में रबी की बुवाई के समय डीएपी (डाई अमोनियम फॉस्फेट) की किल्लत हो रही है। इस महीने के आखिर और नवंबर में यह किल्लत और बढ़ सकती है, जब गेहूं की बुवाई शुरू होगी। देश में डीएपी का स्टॉक अक्टूबर में 21.76 लाख मीट्रिक टन रह गया, जो पिछले साल इसी दौरान 37.45 लाख मीट्रिक टन था। अंतरराष्ट्रीय बाजार में डीएपी और इसके कच्चे माल की कीमतों में तेज बढ़ोतरी से उर्वरक कंपनियां आयात में लगातार कटौती कर रही हैं। इस वित्त वर्ष के पहले 5 महीनों में अप्रैल से अगस्त में देश में 15.9 लाख टन डीएपी का आयात हुआ, जो बीते साल इसी दौरान 32.5 लाख टन था। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, करीब 22 लाख टन का स्टॉक है। सरकार का अनुमान है कि इस बार रबी सीजन में करीब 52 लाख मीट्रिक टन डीएपी की मांग रहेगी। इसमें से 20 लाख मीट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य है। बाकी का आयात किया जाएगा।
ये भी कारण... उर्वरक कंपनियां घाटे में जा रहीं, ईवी में इस्तेमाल बढ़ रहा
देश में प्रतिमाह 4 लाख टन का डीएपी उत्पादन होता है। बाकी 5-6.5 लाख टन आयात करते हैं।
* अंतरराष्ट्रीय बाजार में जून से सितंबर में डीएपी की कीमतें 509 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 620 से 640 डॉलर टन हो गई। घरेलू बाजार में डीएपी की अधिकतम खुदरा कीमत 27,000 रु. प्रति टन है। सरकार 21,676 रु./टन की सब्सिडी देती है। 620 डॉलर प्रति टन की आयतित कीमत पर 5% सीमा शुल्क, बैगिंग, ढुलाई, बीमा और डीलर मार्जिन समेत सभी खर्च मिलाकर लागत 61,000 रु. टन पड़ती है जबकि कंपनियों की आमदनी 53,900 रु. टन होती है यानी प्रति टन 7100 रु. का घाटा है।
डीएपी उत्पादन के लिए कच्चे माल के रूप में रॉक सल्फेट और सल्फ्यूरिक एसिड भी आयात ही करना पड़ता है।
डीएपी की बढ़ती कीमतों व किल्लत के लिए कृषि विशेषज्ञ ईवी में फॉस्फेट आधारित बैटरी के इस्तेमाल में हो रहे इजाफा को भी एक वजह बता रहे हैं। • टेस्ला से लेकर चीन की बड़ी ईवी कंपनियां कारों में लिथियम ऑयन फॉस्फेट बैटरी का इस्तेमाल बढ़ाती जा रही हैं। 2023 में दुनियाभर के 40% ईवी में
एलएफपी बैटरियों का इस्तेमाल हुआ, जबकि 3 साल पहले 6% ईवी में ही
इस्तेमाल हो रहा था। दरअसल, अन्य दो तरह की बैटरियां निकल व कोबाल्ट
आधारित हैं, ये दोनों ही तत्व फॉस्फोरस की तुलना में महंगे व कम उपलब्ध हैं।
चीन ने भी संकट बढ़ाया... चीन ने 2023 में दो-तिहाई बैटरी फॉस्फोरस
आधारित बनाई। वह सालाना 50 लाख टन डीएपी का निर्यात करता था, जिसमें से 2023 में भारत ने 17 लाख टन डीएपी का आयात किया। मोरक्को और रूस के बाद सबसे अधिक आयात यही से किया गया। निर्यात पर रोक लगाने के लिए चीन ने डीएपी की कीमतें 20-25% तक बढ़ा दीं।