Dairy farming: हरियाणा के इस गांव में एक गाय देती है प्रतिदिन 67 लीटर दूध, किसान दूध से कमाता है करोड़ों रुपए
Dairy farming: हरियाणा प्रदेश के अंदर एक ऐसा गांव है जिसमें एक गाय प्रतिदिन 67 लीटर से अधिक दूध देती है। इस गाय के साथ-साथ डेयरी फार्मिंग के कार्य ने किसान को करोड़पति बना दिया है। प्रदेश के करनाल जिले के गुढा गांव के रहने वाले किसान गुरमेश उर्फ डिम्पल दहिया (35) के पास एक ऐसी गांय हैं जो प्रतिदिन 67 लीटर के हिसाब से दूध देती है। गुरमेश ने बताया कि जब उसने आठवीं कक्षा पास करने के बाद पढ़ाई छोड़ी तो गांव के कई लोगों ने उसका मजाक उड़ाते हुए यहां तक कहा कि वो जीवन में पढ़ाई छोड़ने के बाद कुछ नहीं कर पाएगा और भी विफल हो जाएगा। लेकिन गुरमेश ने इन लोगों की बातों को झूठा साबित करने हेतु दिन-रात कड़ी मेहनत की और डेयरी फार्मिंग के जरिए करोड़पति बन गए।
पढ़ाई छोड़ने के बाद किया डेयरी फार्मिंग का काम शुरू
गुरमेश ने बताया कि उन्होंने पढ़ाई छोड़ने के बाद 20 साल पहले 2004 में 10 गाय से एक डेयरी फार्मिंग का काम शुरू किया था। इसका में उन्होंने दिन रात मेहनत कर आज डेयरी फार्मिंग में महारत हासिल कर ली है। इतना ही नहीं डेयरी फार्मिंग के कार्य नहीं उसे करोड़पति भी बना दिया है। उन्होंने बताया कि उनके पास आज 60 से अधिक गाय हैं। जब डेयरी की शुरुआत की थी तब उनके पास डेयरी में महज 90 से 100 लीटर दूध का उत्पादन होता था, लेकिन आज दूध का उत्पादन 1500 लीटर से अधिक प्रतिदिन हो गया है। आज गाय के इस दूध को वह अमूल जैसी बड़ी-बड़ी कंपनियों को सप्लाई करते हैं। जिससे वह प्रत्येक वर्ष 2 करोड़ रुपए से अधिक कमा लेते हैं।
बचपन में पिता से सीखा डेरी फार्मिंग का कार्य
गुरमेश की बचपन से ही डेयरी फार्मिंग के कार्य में रुचि थी। यही कारण था कि वह बचपन से ही अपने पिता के साथ डेयरी फार्मिंग के कार्य में हाथ बंटवाता था। गुरमेश बचपन से ही अपने पिता के साथ पशुपालन के काम में लगे रहते थे और उन्हें पशुपालन का कार्य अच्छा लगता था। आज गुरमेश के पास ऐसी गाय भी है जो प्रतिदिन 67 लीटर से अधिक दूध देती है।
पिता से मिला डेयरी का आइडिया
हरियाणा प्रदेश के करनाल जिले के रहने वाले गुरमेश बताते हैं कि उनके पिता रणधीर सिंह शुरू से ही पशुपालन का काम करते थे। पशुपालन किस काम में उन्हें अपने पिता का हाथ बंटवाना अच्छा लगता था। उन्होंने बताया कि आज से 20 साल पहले भी हमारे पास 10-12 पशु होते थे। जिनमें गायों के साथ-साथ कुछ भैंस भी थीं। इस दौरान उन्हें 2004 में डेयरी करने का आइडिया आया। इस आईडिए के साथ 2004 में उन्होंने पास के गांव शेखपुरा खालसा से एचएफ नस्ल की 20 लीटर दूध वाली गाय ली थी। 2004 में 20 लीटर दूध देने वाली गाय को टॉप गाय की कैटेगरी में माना जाता था।
इसी तरह उन्होंने 2006 में फिर 30 लीटर दूध देने वाली गाय ली थी। अपनी ब्रेड तैयार करने के कार्य ने डेयरी फार्मिंग की तरफ हमारा ओर भी ज्यादा रुझान बढ़ा दिया।
एचएफ नस्ल की गाय देती है 67 लीटर दूध प्रतिदिन
गुरमेश के पास एचएफ नस्ल की गए प्रतिदिन 67 लीटर के लगभग दूध देती है। इस गाय की कीमत व्यापारियों द्वारा लाखों रुपए में लगाई गई है। लेकिन गुरमेश का इस गाय को बेचने का भी कोई इरादा नहीं है। उन्होंने बताया कि इस गाय के अलावा भी उनके पास ऐसी कई गाय है जो 40 लीटर से 60 लीटर तक दूध देती हैं।
एचएफ नस्ल की जो गए 67 लीटर दूध प्रतिदिन देती है उसका दिन में तीन बार दूध निकालना पड़ता है। इस गाय की कीमत कई लोगों द्वारा 5 लाख रुपए तक लगा दी गई है। लेकिन गुरमेश ने अभी तक यह गाय नहीं बेची। गुरमेश अपनी इस गाय को पशु मेलों में होने वाली प्रतियोगिताओं में भी शामिल करते हैं। गुरमेश अपनी डेयरी का दूध शहर में ना बेचकर अमूल और नेस्ले जैसी बड़ी-बड़ी कंपनी को सप्लाई करते हैं। इन कंपनियों से गुरमेश को फैंट के हिसाब से दूध के रुपए मिलते हैं। दूध उत्पादन भी सर्दियों और गर्मियों के अनुसार घटता बढ़ता रहता है। इन कंपनियों में गायों का दूध 40 रुपए के हिसाब से विक्रय हो जाता है।
उन्होंने बताया कि उनकी डेयरी पर प्रतिदिन 1400 से 1500 लीटर दूध का उत्पादन हो जाता है। वह अपनी डेयरी में दूध निकालने के लिए मजदूरों की जगह विदेशी मशीनों का इस्तेमाल करते हैं।