बदलने लगा खेती का पैटर्न, चालू सीजन में अब तक वो लाख हेक्टेयर वत्ता दलहन की बोआई का रकबा
भारत खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर है। कई तरह के अनाज का निर्यात भी किया जाता है। लेकिन दलहन की भारी कमी के चलते प्रत्येक वर्ष 25 से 30 लाख टन दाल का आयात करना पड़ता है। यही कारण है कि भारत ने अगले तीन वर्ष में दाल के मामले में आत्मनिर्भर होने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए दालों के उत्पादन, भंडारण और विपणन को बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है।
बोआई से जुड़ी प्रारंभिक रिपोर्ट ने उत्साह बढ़ाया है। इस बार अब तक अरहर और मूंग के रकबे में नौ लाख हेक्टेयर वृद्धि होती दिख रही है। धान की पैदावार के साथ किसान दलहन की ओर रुख करने लगे हैं। माना जा रहा है कि दलहन फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि एवं सौ प्रतिशत खरीद की गारंटी ने किसानों को खेती का पैटर्न बदलने के लिए प्रोत्साहित किया है। इसके चलते अरहर और मूंग पर फोकस बढ़ा है।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि पिछले वर्ष 116.66 लाख हेक्टेयर की तुलना में इस वर्ष अभी तक 125.13 लाख हेक्टेयर में दलहन की बोआई हो चुकी है। यह आंकड़ा और बढ़ने की उम्मीद है। सबसे ज्यादा मांग अरहर दाल की होती है। इस कारण अरहर के रकबे में सर्वाधिक वृद्धि हुई है। अभी तक 45.78 लाख हेक्टेयर में बोआई हो चुकी है, जो पिछले वर्ष से 5.04 लाख हेक्टेयर ज्यादा है। मूंग के रकबे में भी चार लाख हेक्टेयर - की वृद्धि हुई है। अब तक 34.74 - लाख हेक्टेयर में बोआई हो चुकी - है। देश में प्रत्येक साल लगभग 50 लाख टन अरहर दाल की जरूरत होती है, जबकि उत्पादन 30 से 35 लाख टन है। यही कारण है कि अरहर दाल की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है।
अरहर और मूंग की अच्छी पैदावार की उम्मीद के बावजूद 2027 तक दाल में आत्मनिर्भर बनने का लक्ष्य बड़ी चुनौती है। इसलिए व्यवस्थित तरीके से काम किया जा रहा है। अगले महीने दलहन फसलों का अग्रिम अनुमान जारी करने की
तैयारी है। दाल संकट को दो तरह से दूर करने का प्रयास है। फिलहाल आयात का विकल्प खुला रखकर स्थायी समाधान के लिए रकबा बढ़ाया जा रहा है।
गत शुक्रवार को दाल से जुड़े हितधारकों के साथ सरकार ने पहली बार परामर्श किया और उत्पादन, भंडारण तथा आयात की मात्रा पर राय भी ली।
मांग और आपूर्ति में भारी अंतर
उत्पादन में कमी और मांग में वृद्धि के चलते प्रत्येक साल दाल के आयात की मात्रा बढ़ रही है। 2023 में 29.9 लाख टन दाल दूसरे देशों से आयात करनी पड़ी थी। इससे एक वर्ष पहले यह मात्रा 20.7 लाख टन थी। इस साल अभी तक 14 लाख टन दाल का आयात हो चुका है। दलहन उत्पादन लगातार गिर रहा है। 2022 में 273 लाख टन से कम होकर 2023 में 260 लाख टन और 2024 में मात्र 245 लाख टन ही दलहन का उत्पादन हो पाया है।