श्री टायर प्रणाली अपनाएं, टमाटर का होगा बंपर उत्पादन करेला, काली व राम तोरी, घीया की सब्जियों के सफल उत्पादन में सहायक है बांस विधि
प्रदेश में समतल भूमि पर एक बहुत बड़े क्षेत्र में सब्जियों की खेती की जाती है। सिंचाई या बारिश के बाद हवा से पैदा होने वाली फफूंद जमीन पर पड़े पौधों व फलों को नुकसान पहुंचाती है जिससे 40 से 50% फसल खराब हो जाती है।
बांसों का प्रयोग यदि गोल या लंबी घीया, करेला, काली तोरी और राम तोरी में किया जाए तो यह प्रणाली कारगर होती है। इस विधि से उगाई गई सब्जियों का अधिक उत्पादन लेकर अच्छी गुणवत्ता वाले फलों की पैदावार ली जा सकती हैं। इसके लिए जरूरी है कि घीया तोरी और करेला के लिए भूमि से 7 फुट की ऊंचाई पर मूंज की रस्सी से जाल बनाकर इन बेलों से फल उत्पादन की क्षमता में बढ़ोत्तरी की जा सकती है। डॉक्टर सुरेश कुमार अरोड़ा, पूर्व अध्यक्ष सब्जी विज्ञान विभाग हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार ने बताया कि आवश्यकता से अधिक पानी खेत में भरने के कारण डूबकर फसल खराब न हो ऐसी स्थिति से सब्जियों की फसल को बचाने के लिए लिए श्री टायर प्रणाली अपनाकर बांसों की मदद से इस समस्या से निजात पा सकते हैं। सामान्य रूप से लगाए गए टमाटर के पौधों की अपेक्षा पौधों को बांसों पर चढ़ाने से फूल व फल बहुत
ज्यादा संख्या में आते हैं। धीमी हवा चलने से यह सभी फूल पर परागण की क्रिया करते हुए फल में बदल जाते हैं। एक पौधे से लगभग 5 से 7 किलो टमाटर आसानी से मिल जाता है।
ऐसी शंकर प्रजातियों का करें चयन करें जो बांसो पर चढ़ाई जा सकती हैं इनमें टमाटर की रॉकी, मोल्या, रानी, एनएस 5527 व अभिलाष, परी, एनएस 5013, अर्का रक्षक, अर्का सम्राट, एनएस 524, हिमसोन, हिम शिखर,लक्ष्य, आदि ऐसी शंकर प्रजातियां हैं जिनकी सितंबर व अक्टूबर के महीने में खुले खेतों के रोपाई करके बासों के ऊपर खरपतवार से बचने के लिए प्लास्टिक फ्त्री का प्रयोग करते हुए पौधों को सहारा देकर ऊपर चढ़ाया जाता है।रोपाई के 25 दिन बाद थी टायर प्रणाली अपनाएं
सितंबर में रोपाई करने के लगभग 25 दिन के बाद इन शंकर प्रजातियों के पौधों की टमाटर की बेलें जब बांसों पर चढ़ने के लिए तैयार हो जाएं तो प्रत्येक बांस पर श्री टायर प्रणाली से टमाटर के पौधे की शाखाओं को नायलॉन की डोरियों के ऊपर अच्छे से चढ़ा दें। आवश्यक्ता से अधिक बरसात यदि हो भी जाए तो बारिश से इकट्ठे हुए पानी से फसल को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचता। अगर बारिश से खेत में नालियों में या खालियों में पानी ज्यादा मात्रा में जमा हो जाए उसे तुरंत मोटर लगाकर खेत से निकाल दें।
टपका सिंचाई विधि
किसानों के लिए टपका सिंचाई या बूंद बूंद सिंचाई की विधि इस प्रणाली से सब्जी उगाने के लिए अपनाना बेहद जरूरी है।