स्मार्ट सिटी मिशन के तहत 17 शहरों में सभी काम पूरे
स्मार्ट सिटी मिशन की सफलता पर उठे सवालों के बीच केंद्र सरकार ने दावा किया है कि 17 शहरों में सौ प्रतिशत काम पूरे हो चुके हैं। इसके अलावा 34 शहर ऐसे हैं जहां १० प्रतिशत से अधिक कार्य हो गया है। दो विस्तार के बाद यह मिशन अगले साल मार्च में पूरा होना है। लंबित कामों को लेकर चिंता तो है लेकिन पूर्वोत्तर के राज्यों वाले शहरों को छोड़कर शेष में समग्र प्रगति संतोषजनक है। बंगाल के शहरों में भी लंबे समय तक प्रगति की रफ्तार धीमी रही, लेकिन अब उनमें भी काम तेज हुआ है।
अधिकारियों के मुताबिक निर्धारित समय तक लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा। अब राज्यों के साथ इस पर चर्चा हो रही है कि जो परियोजनाएं पूरी की गई हैं, उनके रखरखाव और उन्हें अपने संचालनके लिए आत्मनिर्भर बनाने के लिए क्या किया जाना चाहिए। शहरी कार्य मंत्रालय के अधिकारियों की ओर से एक संसदीय समिति के समक्ष पहले ही यह स्पष्ट किया जा चुका है कि अब इस मिशन के तहत किसी नई परियोजना को मंजूरी नहीं दी जाएगी और अवधि पूरी हो जाने के बाद राज्यों को अपने स्रोतों से ही लंबित काम पूरे करने होंगे।
मंत्रालय के अनुसार जिन शहरों में सभी काम पूरे हो गए हैं, उनमें आगरा, बरेली,वाराणसी, झांसी, भोपाल, कोयंबटूर, मदुरई, पुणे, रांची, सूरत, उदयपुर, शिवमोगा, वेल्लोर, भुवनेश्वर, कवरत्ती, तुमकुरु और इरोड शामिल हैं। मदुरई ने पिछले साल ही सारे काम पूरे कर लिए थे। 90 प्रतिशत से अधिक काम पूरे हो जाने वाले शहरों में कानपुर, लखनऊ, मुरादाबाद, प्रयागराज, इंदौर, जबलपुर, कोटा, जयपुर, अजमेर, जम्मू, भागलपुर, अमृतसर, चंडीगढ़, शिमला, गुवाहाटी, अहमदाबाद, वडोदरा,
राजकोट, औरंगाबाद, बेंगलुरु और चेन्नई आदि शामिल हैं।
दरअसल कांग्रेस की ओर से पिछले दिनों यह आरोप लगाया गया था कि स्मार्ट सिटी मिशन शहरों की हालत बदलने में कारगर साबित नहीं हुआ। इसके जवाब में शहरी कार्य मंत्रालय ने इस मिशन की उपलब्धियां रेखांकित की हैं। उसने कहा है कि सौ शहरों में 1.60 लाख करोड़ रुपये की लागत वाले 8,000 से अधिक प्रोजेक्ट इसके तहत संचालित किए गए हैं, जिनमें से 90 प्रतिशत अब तक पूरे हो चुके हैं। इन पर 1.45 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए जा चुके हैं। योजना में शामिल 100 शहरों में से 75 शहर ऐसे हैं, जहां 75 प्रतिशत से अधिक कार्य हो चुका है। मिशन के लिए केंद्र सरकार को अपनी ओर से 48 हजार करोड़ रुपये की सहायता राज्यों को देनी थी, जिसमें से 46 हजार करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं।