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आलू की कतारों में 20 और मटर के लिए 30-40 सेंटीमीटर की दूरी जरूरी,व्यवसायी किसान आलू-मटर के ज्यादा उत्पादन के लिए सही बीज चुनें, इस माह के अंतिम सप्ताह तक करें बिजाई

आलू की कतारों में 20 और मटर के लिए 30-40 सेंटीमीटर की दूरी जरूरी,
 
आलू की कतारों

सर्दियों के मौसम में हरियाणा राज्य में आलू और मटर की खेती की जाती है। आलू और मटर की ज्यादा मांग के चलते इन्हें व्यव्सायिक फसलों के रूप में इन सब्जियों को एक बहुत बड़े क्षेत्र में व्यवसायिक किसानों द्वारा उगाया जाता है। डॉ. सुरेश कुमार अरोड़ा पूर्व अध्यक्ष सब्जी विज्ञान विभाग हरियाणा कृषि विवि हिसार ने बताया कि उन्नत किस्मों का चयन एवं समय पर बिजाई के साथ साथ अच्छे से देख रेख करके ही इन दोनों का उत्तम एवं उन्नत उत्पादन लिया जा सकता है। इसके लिए कुछ सावधानियां रखना जरूरी है।

सबसे जरूरी बातः बीज को नई जमीन में बोने से पहले बीज का उपचार राइजोबियम बैक्टीरिया के टीके से जरूर कर लेना चाहिए जिससे पौधों के नाइट्रोजन बनाने की शक्ति बढ़ जाती है। टीके को 10% चीनी या गुड़ के घोल में मिला ले और इस घोल में डूबे बीजों को छाया में सुखाकर प्रति 1 एकड़ के हिसाब से बिजाई करें।

90 से 100 दिन के अंतराल में तैयार हो जाती है आलू की फसल

आलू की उन्नत किस्मों में कुफरी चंद्रमुखी ओर कुफरी जवाहर आलू की अगेती उन्नत किस्में हैं जिनकी बिजाई किसान अक्टूबर के पहले सप्ताह से लेकर अंतिम सप्ताह तक कर सकता है। इसके अलावा कुफरी सिंदूरी, कुफरी बादशाह, कुफरी पुष्कर, कुफरी गौरव आदि आलू की इन किस्मों की बिजाई 15 अक्टूबर से लेकर 31 अक्टूबर तक की जाती हैं और 90 से 100 दिन के अंतराल पर आलू की फसल तैयार हो जाती है। इसके अतिरिक्त कुफरी सतलुज, कुफरी पुखराज और कुफरी फ्राईसोना मध्यम समय में पकने वाली आलू की किस्में हैं। कुफरी फ्राई सोना को फ्रेंच फ्राई बनाने के लिए काफी इस्तेमाल किया जाता है। जिसके चलते इसकी डिमांड काफी है।

खेत की तैयारीः हल्की-सी भारी दोमट मिट्टी आलू की फसल के लिए उपयुक्त रहती है। आलू के खेत में जल निकासी का अच्छे से प्रबंध होना चाहिए। लवणीय व क्षारीय भूमि में आलू की खेती नहीं की जा सकती।


आलू के बीज की मात्रा व बिजाई

* आलू का बीज आकार पर निर्भर करता है। 30 से 70 ग्राम के कंदो की कतारों में 20 सेंटीमीटर व 100 ग्राम की 35 से 40 सेंटीमीटर की दूरी पर बिजाई करनी चाहिए। 20 से 25 सेंटीमीटर मोटी डोलिया बनाएं। 12 क्विंटल कंद प्रति एकड़ की बिजाई के लिए पर्याप्त रहते हैं।


स्वस्थ कंदों का बिजाई में करें प्रयोग स्वस्थ कंदो को बिजाई के लिए इस्तेमाल करें। किसान अपने खेतों में सीड प्लॉट टेक्निक द्वारा पैदा किए गए कंदो का प्रयोग बेहतर रहता है। इसके अतिरिक्त किसान हरियाणा बागवानी विभाग के केंद्रों से या हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय से अच्छा रोग रहित एवं स्वस्थ बीज प्राप्त कर सकते हैं।

मटर की दो किस्में- बोनीविले व पंजाब 89

मटर की दो प्रजाति जिनमें बोनीविले व पंजाब 89 हैं जिनकी बिजाई का समय उत्तरी भारत के मैदानी इलाकों में अक्टूबर के अंत से लेकर नवंबर महीने तक किया जा सकता है। इनकी बिजाई समतल क्यारिया बना कर किया जाता है जिसकी मात्रा 20 से 30 किलो प्रति एकड़ पर्याप्त होती है बिजाई में कतारों का फासला 30 से 40 सेंटीमीटर व पौधों का फासला 3 से 5 सेंटीमीटर रखना चाहिए।