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मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में लगेगा 8000 मेगावाट का सोलर प्लांट किसानों को अब 6 रुपए की जगह 2.75 रुपए यूनिट के दर से मिलेगी बिजली

मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में लगेगा 8000 मेगावाट का सोलर प्लांट किसानों को अब 6 रुपए की जगह 2.75 रुपए यूनिट के दर से मिलेगी बिजली
 
मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में लगेगा 8000 मेगावाट का सोलर प्लांट

मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश पहली बार नवकरणीय ऊर्जा की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रहे हैं। दोनों राज्य मध्य प्रदेश के 5 जिलों मुरैना, शिवपुरी, सागर, आगर और धार में 8 हजार मेगावाट की सौर परियोजना लगाएंगे। दोनों राज्यों में सहमति बन गई है। पूरा प्रोजेक्ट पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर चलेगा। इसके लिए प्राइवेट कंपनी 40 हजार करोड़ रुपए का निवेश करेगी। यह प्रोजेक्ट 160 वर्ग किमी जमीन पर लगेगा। करार के अनुसार, पहले दो तिमाही (अप्रैल से सितंबर) में उत्तर प्रदेश, जबकि बाद के छह महीने (अक्टूबर से मार्च) तक मप्र को बिजली सप्लाई होगी।


सबसे खास बात यह है कि दोनों राज्यों में सिंचाई के लिए बिजली का ज्यादा इस्तेमाल होता है। इस प्रोजेक्ट के जरिए जो बिजली सप्लाई की जाएगी, वह किसानों को बड़ी राहत देगी। किसानों को 6 रु./ यूनिट की जगह 2.75 रु./यूनिट की दर से बिजली मिलेगी। आम लोगों के लिए भी यही दाम रहेंगे। यह तय हुआ है कि इस प्रोजेक्ट को 2026 तक पूरा किया जाएगा।

3 महीने में बनी सहमति : मप्र के नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग के एसीएस मनु श्रीवास्तव ने 13 मई को उप्र सरकार को एक पत्र भेजा। इसमें बताया गया कि दोनों राज्यों की बिजली जरूरतें पूरी करने के लिए एक नई परियोजना बनाई जाएगी। 12 अगस्त को उप्र के नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी। इससे पहले मप्र के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच बातचीत हुई थी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी राज्यों को 2030 तक नवकरणीय ऊर्जा क्षमता 500 गीगावाट तक बढ़ाने का लक्ष्य दिया है। इसके तहत, देश की ऊर्जा जरूरतों का 50% हिस्पा नवकरणीय ऊर्जा से पूरा करना है।

मानसून में मप्र की 1 दिन की जरूरत जितनी बिजली बन सकेगी: वर्ष 2023-24 में अप्रैल-सितंबर के बीच उप्र में औसत बिजली की मांग करीब 26,875 मेगावाट थी, जबकि इसी अवधि में मप्र की औसत मांग 13,154 मेगावाट थी। इसके विपरीत अक्टूबर से मार्च के बीच उप्र की औसत बिजली मांग घटकर 21,174 रह गई, जबकि मप्र की मांग 17,336 तक पहुंच गई। ऐसा सिंचाई के लिए बिजली की खपत बढ़ने से होता है। इसलिए इस तरह के प्रोजेक्ट की जरूरत पड़ी, जिसमें दोनों राज्य अपनी-अपनी जरूरतों के हिसाब से कम दरों में बिजली ले सकें।

* 2023-24 की खपत के अनुसार, मानसून में मप्र की एक दिन की जरूरत के बराबर बिजली इस प्लांट से बनेगी।

सालाना ₹554 करोड़ बचाएंगे: देश की पहली ऐसी परियोजना के लिए दोनों राज्यों के बीच सहमति बन गई है। कोयले से बनने वाली बिजली की तुलना में इस प्रोजेक्ट से हर 1000 मेगावाट बिजली पर 554 करोड़ रुपए की बचत होगी। - मनु श्रीवास्तव, एसीएस, नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग