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भारत विद्या मंदिर में अध्यापक दिवस बड़े ही धूमधाम से मनाया गया

भारत विद्या मंदिर में अध्यापक दिवस बड़े ही धूमधाम से मनाया गया
 
भारत विद्या मंदिर

 भारत विद्या मन्दिर मिडल स्कूल में अध्यापक दिवस बहुत ही धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर भाषण प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया, जिसमें विद्यार्थियों ने अपने-2 विचार प्रस्तुत किए। वीरवार को स्कूल में 74 विद्यार्थी स्कूल यूनिफार्म की बजाय अध्यापक-अध्यापिका की वेशभूषा में आए।

5 सितम्बर अध्यापक दिवस एक ऐसा दिन है जिस दिन कुछ छात्रों को शिक्षकों की भूमिका निभाने का सौभाग्य प्राप्त होता है। कुर्ता पायजामा, सलवार-कुर्ता और साड़ियां पहनकर विद्यार्थी अपने शिक्षकों की भूमिका निभाते हुए एक अनूठा अनुभव महसूस करते हैं। इस अवसर पर अपने सम्बोधन में स्कूल के मुख्याध्यापक विनोद हसीजा ने कहा कि 5 सितम्बर को भारत के दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था।

उन्होंने आग्रह किया था कि उनका जन्मदिन मनाने के बजाय इस दिन को अध्यापक दिवस के रूप में मनाया जाए ताकि देश के शिक्षकों को योग्य सम्मान दे सकें। 5 सितम्बर अध्यापक दिवस मनाने की परम्परा 1962 से शुरू हुई थी। जब भारत के एक योग्य शिक्षक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन देश के दूसरे राष्ट्रपति बने।

देश के राजनेताओं, वैज्ञानिकों, डॉक्टरों, कलाकारों, किसानों, व्यापारियों, मजदूरों, सैनिकों, इंजीनियरों आदि में गुणवता पैदा करने का श्रेय अध्यापकों को जाता है। देश के चरित्र निर्माण में जितनी भूमिका शिक्षक निभाते हैं। उतनी शायद और कोई निभाता है। इस अवसर पर अध्यापक-अध्यापिका की वेशभूषा में लडकियों में प्रथम स्थान पर अक्षिता कक्षा दूसरी, द्वितीय स्थान पर सीरत कक्षा चौथी, तृतीय स्थान पर रूमैशा कक्षा एल.के.जी., चतुर्थ स्थान पर जरीन कक्षा एल.के.जी., पंचम स्थान पर समरीन कक्षा पहली तथा लड़कों में प्रथम स्थान पर भावेश कक्षा एल.के.जी., द्वितीय स्थान पर देवांश कक्षा दूसरी, तृतीय स्थान पर मनन कक्षा यू.के.जी., चतुर्थ स्थान पर मयंक कक्षा तीसरी, पंचम स्थान पर शिवा कक्षा दूसरी रहे। इस अवसर पर निर्णायक मंडल की भूमिका अध्यापिका गीता और शालू ने निभाई।