गांव की बेटी श्रुति ने रचा कीर्तिमान, इस पद पर तैनात होकर पुरे राज्य में दिए की तरह जगमगा उठा गांव का नाम
प्रतिकूल परिस्थितियों में भी सफलता की बेटी बन गई हैं। धर्मेंद्र और रश्मि के आंगन में जो लाडू भर गया था, वह अब गाँव का लाडू बन गया है। अब आस-पास के गाँव के हर माता-पिता अपनी बेटियों को श्रुति से प्रेरणा लेने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
Oct 30, 2024, 16:54 IST

Sucess Story: कड़ी मेहनत और दृढ़ता से असंभव को संभव बनाया जा सकता है। ऐसा ही कुछ धर्मेंद्र कुमार सिंह और रश्मि कुमारी की लाडो श्रुति ने किया है। अनुकूल वातावरण और सही मार्गदर्शन के बल पर लक्ष्य प्राप्त करने की तुलना में प्रतिकूल परिस्थितियों में अपने लक्ष्य को प्राप्त करना बहुत अधिक कठिन है।
आज श्रुति प्रतिकूल परिस्थितियों में भी सफलता की बेटी बन गई हैं। धर्मेंद्र और रश्मि के आंगन में जो लाडू भर गया था, वह अब गाँव का लाडू बन गया है। अब आस-पास के गाँव के हर माता-पिता अपनी बेटियों को श्रुति से प्रेरणा लेने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
श्रुति दोमोडीह गांव के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता दुर्गा प्रसाद सिंह की पोती हैं। एक सड़क दुर्घटना में उनके पिता की मृत्यु के बाद परिवार टूट गया। इस दुख को कम करने के लिए श्रुति ने कुछ करने का सपना देखा। फिर उन्होंने एक मूक साधिका की तरह अपने सपने को पूरा करने के लिए दिन-रात काम किया। उन्हें पढ़ने के अलावा कुछ नजर नहीं आ रहा था।
श्रुति की माँ ने अपनी इकलौती बेटी को पढ़ाई के लिए राजौन ब्लॉक में अपनी नानी के गाँव माकनपुर भेजा।उन्होंने हाई स्कूल से लेकर कॉलेज तक अपनी पढ़ाई पूरी की। उसके बाद मुझे डॉक्टर बनने का जुनून हो गया। उन्होंने अपने पहले प्रयास में ही डॉक्टर बनने का अपना सपना पूरा कर लिया। वह दो महीने पहले मधुबनी जिले में तैनात थी।
आज श्रुति प्रतिकूल परिस्थितियों में भी सफलता की बेटी बन गई हैं। धर्मेंद्र और रश्मि के आंगन में जो लाडू भर गया था, वह अब गाँव का लाडू बन गया है। अब आस-पास के गाँव के हर माता-पिता अपनी बेटियों को श्रुति से प्रेरणा लेने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
श्रुति दोमोडीह गांव के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता दुर्गा प्रसाद सिंह की पोती हैं। एक सड़क दुर्घटना में उनके पिता की मृत्यु के बाद परिवार टूट गया। इस दुख को कम करने के लिए श्रुति ने कुछ करने का सपना देखा। फिर उन्होंने एक मूक साधिका की तरह अपने सपने को पूरा करने के लिए दिन-रात काम किया। उन्हें पढ़ने के अलावा कुछ नजर नहीं आ रहा था।
श्रुति की माँ ने अपनी इकलौती बेटी को पढ़ाई के लिए राजौन ब्लॉक में अपनी नानी के गाँव माकनपुर भेजा।उन्होंने हाई स्कूल से लेकर कॉलेज तक अपनी पढ़ाई पूरी की। उसके बाद मुझे डॉक्टर बनने का जुनून हो गया। उन्होंने अपने पहले प्रयास में ही डॉक्टर बनने का अपना सपना पूरा कर लिया। वह दो महीने पहले मधुबनी जिले में तैनात थी।