OpsBreaking

यूजीसी नेट में आयुर्वेद बायोलाजी नाम से नया विषय शामिल

यूजीसी नेट में आयुर्वेद बायोलाजी नाम से नया विषय शामिल
 
यूजीसी नेट में आयुर्वेद बायोलाजी नाम से नया विषय शामिल

इस वर्ष दिसंबर में होने वाली विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (यूजीसी-नेट) में छात्रों के पास आयुर्वेद बायोलाजी नाम से एक और विषय चुनने का विकल्प रहेगा। यूजीसी ने विशेषज्ञ कमेटी के सुझाव के बाद साल में दो बार होने वाले नेट के लिए आयुर्वेद बायोलाजी को नए विषय के रूप में शामिल करने को मंजूरी दे दी है। यह यूजीसी नेट में 105वें विषय के रूप में शामिल हो गया है। जेएनयू सहित कई विश्वविद्यालय इस विषय में मास्टर कोर्स पहले से करा रहे हैं। ऐसे में मास्टर करने वाले भी अब नेट में शामिल हो सकेंगे।

यूजीसी का मानना है कि देश में जिस तरह से भारतीय ज्ञान को प्रमुखता से आगे लाने और देश की नई पीढ़ी को उससे परिचित कराने का अभियान शुरू 
किया गया है, उसमें यह अहम पहल है। इससे न सिर्फ आयुर्वेद के क्षेत्र में शोध को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि छात्रों में इस विषय की पढ़ाई को लेकर रुझान भी बढ़ेगा। मौजूदा समय में यूजीसी नेट के लिए तीन पात्रता श्रेणियां हैं। हैं। पहली जूनियर रिसर्च फेलोशिप, दूसरी सहायक प्राध्यापक व पीएचडी (दोनों के लिए पात्र) के लिए होती है। तीसरी श्रेणी सिर्फ पीएचडी के लिए होती है। पहले छात्रों को पीएचडी के लिए अलग-अलग विश्वविद्यालयों में आवेदन करना होता था।
आयुर्वेद बायोलाजी में यह मिलेगा पढ़ने को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की राष्ट्र पात्रता परीक्षा (यूजीसी नेट) में शामिल किए गए आयुर्वेद बायोलाजी में जो विषय मुख्य रूप से पढ़ने को मिलेंगे उनमें आयुर्वेद का इतिहास और विकास, आयुर्वेद का दर्शन और बुनियादी सिद्धांत, शरीर रचना और क्रिया, पदार्थ विज्ञान और द्रव्य विज्ञान, रस शास्त्र, औषधि गंध्र, बीमारियां, जेनेटिक बायोलाजी, फिजियोलाजी, बायोकेमेस्टी, नैनोटेक्नोलाजी, बायो डायवर्सिटी, पर्यावरणीय स्वास्थ्य,

आयुर्वेद शोध आदि शामिल है। बेहतर कार्य करने वाले 101 शोधार्थी हर साल होंगे सम्मानित : हर साल शोध

के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वाले 101 शोधार्थियों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित करेगा। यूजीसी ने इस संबंध में एक दिशा-निर्देश भी जारी किया है। यूजीसी ने इसे लेकर देशभर के सभी विश्वविद्यालयों से हर साल पीएचडी में बेहतर कार्य करने वाले पांच शोधार्थियों की सूची मुहैया कराने को कहा है। यूजीसी ने 10 क्षेत्रों से इन शोधार्थियों के नाम चयनित करके देने को कहा है।

यूजीसी के मुताबिक इस दौरान विज्ञान के क्षेत्र में पीएचडी करने वाले सबसे अधिक 30 शोधार्थियों को सम्मानित किया जाएगा। इंजीनियरिंग और तकनीक के क्षेत्र से 26, सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र से 12, भारतीय भाषाओं से छह, प्रबंधन से छह, कृषि विज्ञान से चार, मेडिकल से पांच, शिक्षा के क्षेत्र से पांच, कामर्स के क्षेत्र से तीन और विदेशी भाषाओं में तीन शोधार्थियों को सम्मानित किया जाएगा। यूजीसी के मुताबिक इस पहल से गुणवत्ता पूर्ण शोध को लेकर विश्वविद्यालयों में रुझान बढ़ेगा। यूजीसी ने यह निर्णय देश में पीएचडी करने वाले शोधार्थियों की तेजी से बढ़ रही संख्या को देखते हुए लिया है। रिपोर्ट के मुताबिक 2010-11 में जहां 77,798 शोधार्थियों ने पीएचडी में दाखिला लिया था, वहीं 2017-18 में 1,61,412 शोधार्थियों ने पीएचडी में दाखिला लिया था। देश में मौजूदा समय में पीएचडी करने वाले छात्रों की संख्या सालाना 10 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है।


दिसंबर में होने वाले नेट में छात्रों को यह विषय चुनने का मिलेगा विकल्प

भारतीय ज्ञान परंपरा को विस्तार और आयुर्वेद में शोध को गति देने की कवायद