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मोतीलाल नेहरू पब्लिक विद्यालय ने की, सीबीएसई की तरफ से अध्यापकों के लिए पेरेंटिंग कार्यशाला
 

मोतीलाल नेहरू पब्लिक विद्यालय ने की, सीबीएसई की तरफ से अध्यापकों के लिए पेरेंटिंग कार्यशाला
 
 
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 मोतीलाल नेहरू पब्लिक विद्यालय ने एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया, जिसका उद्देश्य अध्यापकों को प्रभावी पेरेंटिंग तकनीकों से अवगत कराना है। इस कार्यशाला में विभिन्न स्कूलों के अध्यापकों ने भाग लिया। जिनमे मोतीलाल नेहरू पब्लिक स्कूल, सुप्रीम सीनियर सेकेंडरी स्कूल, शिवानिया् स्कूल (उचाना) डी. ए. वी.पब्लिक स्कूल (फतेहाबाद) विद्यालय शामिल थे।

भगवान श्री गणेश जी की प्रतिमा पर प्राचार्य और रिसोर्स पर्सन ने दीप प्रज्वलित कर इस कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य अध्यापक को बच्चों की भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को समझाना, सकारात्मक संवाद और प्रभावी संचार के तरीकों से अवगत कराना और बच्चों के विकास में सहयोग देने के लिए उपयोगी संसाधनों और तकनीकों को साझा करना है।


इस कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित निवेदिता प्रिंसिपल, एमएसडी स्प्रिंगबॉल्स पब्लिक स्कूल, फतेहाबाद रवि कुमार पीजीटी गणित,डी. ए. वी. पब्लिक स्कूल, रतिया, फतेहाबाद
कार्यशाला की शुरुआत श्रीमती निवेदिता ने की। उन्होंने अध्यापको के लिए पेरेंटिंग के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की और कहा कि बच्चों की भावनात्मक सुरक्षा सुनिश्चित करना, उनकी उपलब्धियों को पहचानना और उन्हें प्रोत्साहित करना बेहद जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि अध्यापकों को बच्चों के प्रति संवेदनशील रहना चाहिए और उनकी समस्याओं को सुनने का प्रयास करना चाहिए।

श्री रवि कुमार ने गणित के माध्यम से बच्चों के मनोविज्ञान को समझाने का प्रयास किया। उन्होंने बताया कि कैसे अध्यापक गणित की पढ़ाई में बच्चों की मदद कर सकते हैं। उन्होंने खेल-खेल में सीखने के तरीकों को साझा किया और अध्यापको को बताया कि वे कैसे बच्चों को गणित के प्रति रुचि विकसित करने में मदद कर सकते हैं। श्रीमती निवेदिता ने यह भी कहा कि अध्यापकों को यह समझना चाहिए कि बच्चों का मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य उनकी शिक्षा पर सीधा असर डालता है। इसलिए उन्हें बच्चों के साथ खुलकर बात करनी चाहिए और उनकी भावनाओं को समझना चाहिए, सकारात्मक संवाद बच्चों की सीखने की प्रक्रिया को बढ़ाता है। अध्यापक बच्चों के विचारों और भावनाओं का सम्मान करें और उनकी बातों को ध्यान से सुनें, बच्चों को समय का उचित प्रबंधन सिखाना आवश्यक है। वे बच्चों के लिए एक नियमित दिनचर्या बनाएं, जिससे बच्चे पढ़ाई और खेल दोनों में संतुलन बना सकें और कहा कि बच्चों को कभी-कभी मनोवैज्ञानिक सहायता की आवश्यकता होती है और इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी समस्या के समय उन्हें सही मार्गदर्शन और सहायता मिल सकती है ।

कार्यशाला में अध्यापकों ने विभिन्न सवाल पूछे, जिन्हें श्रीमती निवेदिता और श्री रवि कुमार ने विस्तार से उत्तर दिया। कार्यशाला का समापन सभी उपस्थित अध्यापकों ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए किया। सभी ने इस कार्यशाला के माध्यम से मिली जानकारी और संसाधनों की प्रशंसा की। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित किए जाने चाहिए, जिससे उन्हें पेरेंटिंग के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद मिल सके। आज की कार्यशाला ने अध्यापको को पेरेंटिंग के महत्वपूर्ण पहलुओं को समझने और अपने बच्चों के विकास में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया। हमें विश्वास है कि इस प्रकार के कार्यक्रम बच्चों और अध्यापकों के बीच बेहतर संवाद और सहयोग स्थापित करने में सहायक होंगे। इस कार्यशाला में हमने सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं को शामिल करने का प्रयास किया है, जिससे सभी अध्यापकों को पेरेंटिंग के विषय में आवश्यक जानकारी प्राप्त हो सके।