फर्जी पीएचडी मामले में होगी विजिलेंस जांच, उच्चतर विभाग ने शुरू की तैयारी
प्रदेश भर के राजकीय कॉलेजों में कार्यरत अनुबंधित प्राध्यापकों की पीएचडी डिग्री को लेकर उच्चतर शिक्षा विभाग ने विजिलेंस जांच करवाए जाने की तैयारियां पूरी कर ली है। वेरीफिकेशन का काम किया जा चुका है और अब जांच करवाई जाएगी। उम्मीद है कि चुनाव के बाद कड़े फैसले होंगे। इससे उन अनुबंधित प्राध्यापकों में हड़कंप की स्थिति है जिन्होंने नौकरी के दौरान पीएचडी की डिग्री फर्जी तरीके से हासिल करके समान काम समान वेतन स्कीम का लाभ उठाया है।
सूत्र बताते हैं कि उच्च्तर शिक्षा विभाग ने एक महिला प्राध्यापक को अयोग्य करार देते हुए सैलरी कम कर दी और समान काम-समान वेतन स्कीम के तहत 57700 वेतनमान देने से इंकार कर दिया। इस पर उक्त महिला अनुबंधित प्राध्यापक ने कोर्ट केस दायर किया। इसमें उन्होंने समान काम-समान वेतन दिए जाने की मांग की। हाई कोर्ट ने उच्चतर शिक्षा विभाग से जवाब मांगा।
उच्चतर शिक्षा विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर नवदीप सिंह ने जून माह में अपना जवाब दायर किया। सूत्र बताते हैं कि अपने जवाब में विभाग के अधिकारी ने पूरा मामला बताते हुए आश्वासन दिया कि कई अनुबंधित टीचर्स ने योग्यता पूरी (नेट-पीएचडी) करने के लिए फर्जी डिग्री हासिल की, ऐसा पता चला है। इस मामले की जांच के लिए कमेटी बनाई गई थी। लेकिन जांच अधिकारियों के पास डॉक्यूमेंट जांच के लिए पर्याप्त टूल्स नहीं है। ऐसे में अधिकतर कमेटी सदस्यों ने स्टेट विजिलेंस से जांच करवाए जाने की सिफारिश की है। इसलिए इस मामले की जांच स्टेट विजिलेंस से करवाई जा रही है।
जानिए... क्या है पूरा मामला
प्रदेश भर में 2000 से ज्यादा अनुबंधित प्राध्यापक कॉलेजों में कार्यरत हैं। इनमें से करीब 1600 प्राध्यापकों ने पीएचडी के आधार पर लाभ हासिल किया। सूत्र बताते हैं कि करीब 1200 अनुबंधित प्राध्यापकों की पीएचडी की डिग्री शक के दायरे में हैं। शक के दायरे में आई यूनिवर्सिटी की जांच यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) ने शुरू की। पहले चरण में राजस्थान स्थित ओपीजेएस यूनिवर्सिटी पर गाज गिरी। यूजीसी ने आदेश दिए हैं कि इस यूनिवर्सिटी की पीएचडी की डिग्री मंजूरी के बिना अवैध मानी
जाएगी। प्रदेश भर के कॉलेजों में पिछले 5 वर्ष के दौरान बड़ी संख्या में प्राध्यापक पीएचडी की डिग्री ले आए। पता चला कि इसके लिए न तो प्राध्यापकों ने अवकाश लिया और न ही विभाग से पढ़ाई के लिए मंजूरी। यूजीसी की ओर से एक स्टेंडिंग कमेटी का गठन किया गया। ताकि इस पूरे मामले की जांच की जा सके। स्टैंडिंग कमेटी ने देश भर की 14 संदिग्ध यूनिवर्सिटी की सूची तैयार की और वर्ष 2018 में पीएचडी का पूरा डाटा तलब कर लिया। उक्त यूनिवर्सिटी को कई पत्र और शो-कॉज नोटिस भी जारी किए।