चारे की कमी को पूरी करने के लिए किया पराली का प्रबंधन,1000 रुपए प्रति एकड़ सरकार देती है मुआवजा

खरावड़ गांव में एक ग्रामीण की सकारात्मक सोच ने पूरे गांव की सोच को बदल दिया। ग्रामीण ने पराली जलाने से नुकसान की बजाए पराली प्रबंधन करके लाभ कमाने का संदेश दिया तो पूरे गांव में फैल गया। इसके बाद खरावड़ के सभी ग्रामीण पराली का प्रबंधन करने लगे हैं।
गांव खरावड़ निवासी सुनील मलिक के पास पशुओं के लिए चारे की कमी हो गई थी। इसका कोई उपाय निकल नहीं रहा था। उस समय आसपास के क्षेत्र में पराली जलने की घटनाएं सामने आने लगी तो सुनील ने पराली प्रबंधन करके चारे की कमी को दूर करने का जरिया बनाने की सोची। तब उन्होंने अपनी 10 एकड़ धान की फसल की पराली को एकत्रित करना शुरू किया। इसमें प्रति एकड़ मजदूरों को 1200 रुपए देने के बाद भी प्रति एकड़ 2000 रुपए की आमदनी हो रही है, जबकि 1000 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से सरकार की तरफ से मुआवजा दिया जा रहा है। पराली प्रबंधन करके सुनील को लाभ मिलता देखकर गांव के अन्य किसानों ने भी इस तरकीब को अपनाया। अब gramin गांव में आने वाले ठेकेदार को ही पराली बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं। जिससे वह पशुओं के लिए 30% का इंतजाम पराली से ही कर रहे हैं। अपनी चारे की समस्या को दूर कर चुके हैं।
सराहनीय कार्य के लिए हो चुके सम्मानित
पराली प्रबंधन के लिए सुनील को सराहनीय कार्य करने पर शासन-प्रशासन सम्मानित कर चुका है। इसमें दूसरे किसानों को भी प्रेरित करने के लिए उनके काम की प्रशंसा की गई है।
ठेकेदार को भी मिलना चाहिए क्लेम
सुनील ने बताया कि पराली खरीदने वाले ठेकेदार जब क्षेत्र में आते हैं तो पराली की गांठ एकत्र करनी पड़ती हैं। तब कई बार आगजनी का अंदेशा रहता है। इसलिए सुनील ने सरकार से मांग की कि ठेकेदार को भी नुकसान की भरपाई दी जानी चाहिए।