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पुलिस जांच अभियान के दौरान अब प्राध्यापकों को नहीं मिलेगी ड्यूटी मजिस्ट्रेट की जिम्मेदारी

पुलिस जांच अभियान के दौरान अब प्राध्यापकों को नहीं मिलेगी ड्यूटी मजिस्ट्रेट की जिम्मेदारी
 
पुलिस जांच अभियान के दौरान अब प्राध्यापकों

पुलिस जांच अभियान के दौरान लगने वाले ड्यूटी मजिस्ट्रेट की ड्यूटी सूची से अब कॉलेज प्राध्यापकों को बाहर कर दिया है। इससे कॉलेज प्राध्यापकों को राहत मिलेगी क्योंकि किसी भी समय पुलिस उक्त अधिकारियों को वैरिफिकेशन के लिए बुला लेती थी।

बाद में न्यायालय तक केस में शामिल होना पड़ता था। ऐसे में अब डीसी ने फैसला लेते हुए राहत दी है। मिली जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है कि पुलिस की ओर से जब भी कोई जांच अभियान चलाया जाता है या तलाशी अभियान चलाना होता है तो तलाशी लेने के लिए नियम है कि ड्यूटी मजिस्ट्रेट (राजपत्रित अधिकारी) की उपस्थिति जरूरी है।

पुलिस प्रशासन की ओर से तैयार की गई राजपत्रित अधिकारियों की सूची में कॉलेज प्राध्यापकों को भी शामिल किया गया था। बताया जा रहा है कि ऐसे में जब भी पुलिस अभियान चलाती या किसी संदिग्ध अपराधी को पकड़ती तो ड्यूटी मजिस्ट्रेट के रूप में कॉलेज प्राध्यापकों को बुलाती। ऐसे में यदि कॉलेज प्राध्यापक कहीं बाहर हैं या किसी कार्य में व्यस्त होते तो परेशानियों का सामना करना पड़ता।

इतना ही नहीं केस दर्ज होने के बाद न्यायालय तक भी गवाही देने के लिए जाना पड़ता था। ऐसे में कॉलेजों में शिक्षण कार्य प्रभावित होता था। ये मुद्य डीसी शांतनु शर्मा के संज्ञान में आया। उन्होंने संबंधित अधिकारियों के साथ मंथन किया।इस दौरान पता चला किस कॉलेज प्राध्यापक इस सूची में शामिल नहीं हो सकते। ऐसे में न्यायालय में परेशानियों का सामना करना पड़ था। इस पर डीसी ने फैसला किया कि कॉलेज प्राध्यापकों को पुलिस विभाग की ड्यूटी मजिस्ट्रेट की सूची से बाहर किया जाए। उन्होंने आदेश दिए कि इस सूची में केवल रेवेन्यू, पुलिस, स्वास्थ्य विभाग और अन्य जरूरी विभाग के अधिकारी भी शामिल हो सकेंगे। जिससे प्राध्यापकों को राहत मिल सकेगी।