मधुमक्खी पालन में मेडिसन वैल्यू के शहद का उत्पादन लाभकारी, रोहतक के किसान हिमालय लेकर गए थे मधुमक्खी के 200 डिब्बे, सालभर में साढ़े चार लाख रु. मुनाफा कमाया
मधुमक्खी पालन में भी मेडिसन वैल्यू के शहद का उत्पादन किसानों के लिए फायदे का सौदा बन गया है। इसकी कीमत अधिक होने के कारण बाजार में ज्यादा दाम मिल रहे हैं।
मधुमक्खी पालन करने वाले रोहतक जिले के 70 किसान हिमालय क्षेत्र में अपने मधुमक्खी के डिब्बे लेकर गए थे। सभी किसान वहां से लौट आए हैं। किसानों ने इस शहद का प्रोडक्शन शुरू कर दिया है। इसके दाम क्षेत्र में मधुमक्खी पालन की अपेक्षा करीब 40% ज्यादा हैं। इससे पर्वतीय क्षेत्र में उत्पादन करना किसानों के लिए लाभ का सौदा बन गया है। ऐसे ही सीसर खास गांव निवासी किसान मोनू ने बताया कि वह मधुमक्खी के 200 डिब्बे लेकर गए थे। इसमें एक सेब का बाग 6 हजार रुपए में किराए पर लिया। काम करने के लिए 600 रुपए प्रतिदिन मजदूरी पर 3 मजदूर रखे हैं। इसमें पिछले एक साल के दौरान मधुमक्खी पालन से 6 लाख रुपए कमाए, जबकि इसमें कुल खर्च लगभग डेढ़ लाख रुपए का आया है। इस शहद के दाम 200 रुपए प्रति किग्रा तक हैं। इस व्यवसाय को करने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र से 5 दिन का प्रशिक्षण लिया था।
आयुर्वेदिक दवाई के लिए शहद की मांग अधिक
किसान मोनू बताते हैं कि ज्यादा शहद की अधिक डिमांड वही लोग कर रहे हैं, जिन्हें इसका उपयोग किसी आयुर्वेदिक दवाई में करना होता है। इसलिए वहां से लगातार शहद की डिमांड आती रहती है। साथ ही वह ज्यादा मोलभाव भी नहीं करते हैं। इसलिए बेहतर उत्पादन के लिए यह तरीका अपनाया जा सकता है।
रोहतक और आसपास के क्षेत्र में मधुमक्खी अधिकतर सरसों और अन्य फूलों से हो शहद का उत्पादन करती हैं। इसमें अधिक औषधीय गुण नहीं होते हैं, जबकि पर्वतीय क्षेत्रों में औषधीय महत्व वाली जड़ी-बूटियों के पौधे उगते हैं। जब मधुमक्खी इनसे शहद का उत्पादन करती हैं तो उसके साथ जड़ी बूटियों के गुण भी शहद में आते है। जो शहद को औषधीय गुणों से प पूर्ण कर देते हैं। इससे यह शहद क्षेत्र के शहद को अपेक्षा अधिक मेडिसन बेल्यू वाला होता है। वैसे हर जगह की मधुमक्खी का शहद चिकित्सा के लिए एंटी बायोटिक गुणों बाला माना जाता है।