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Jind News: अन्नकूट पर मंदिरो में लगे भंडारे लोगोंं ने पूजा-अर्चना कर मांगी मन्नतें 

अन्नकूट पर मंदिरो में लगे भंडारे लोगोंं ने पूजा-अर्चना कर मांगी मन्नतें 
 
 पूजा-अर्चना

Jind News: जींद में गोवर्धन और अन्नकूट को लेकर मंदिरों में शनिवार को खूब भंडारे लगे। मंदिरों में पूजा-अर्चना और हवन यज्ञ कर श्रद्धालुओं ने सुख शांति की कामना की। जयंती मंदिर में भव्य भंडारा लगा। इस दौरान प्रसाद पाने के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतारे लगी हुई थी। मंदिर श्रद्धालुओं ने स्वयं सेवक बनकर व्यवस्था को संभालने का काम किया।

मंंदिर पुजारी नवीन कुमार शास्त्री ने बताया कि श्रद्धालुओं के सहयोग से भंडारे में चार क्विंटल कढ़ी, दो क्विंटल चावल, एक क्विंटल सब्जी, एक क्विंटल बाजरे की खिचड़ी, दो क्विंटल हलवा और पूरी का प्रसाद तैयार किया गया था। पिछले वर्षो की भांति इस वर्ष गोवर्धन पूजा और अन्नकूट के भंडारे को लेकर श्रद्धालुओं में काफी उत्साह देखने को मिला।

उन्होंने कहा कि दीपावली का अगला दिन गोवर्धन पूजा के लिए तय रहता है। अन्नकूट का पर्व इसी अवसर पर गोवर्धन पूजा के निमित्त मनाया जाता है, जिसके मूल में, भगवान श्रीकृष्ण भक्तों के योगक्षेम को स्वयं वहन करते हैं, जैसा कि भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर किया।

शास्त्री ने बताया कि गोकुलवासी वर्षा के देवता कहे जाने वाले इंद्र को प्रसन्न करने के लिए प्रत्येक वर्ष उनकी पूजा करते थे, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें ऐसा करने से रोककर गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए कहा। इस पर इंद्र ने क्रोधवश गोकुल पर भारी मूसलाधार बारिश करवा दी, जिससे ब्रजवासियों को बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपने हाथ की कनिष्ठिका (सबसे छोटी अंगुली) पर सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को उठाए रखा, तथा सभी ग्रामीणों, गोपी-गोपिकाओं, ग्वाल-बालाओं व पशु-पक्षियों की रक्षा की। सातवें दिन भगवान ने पर्वत को नीचे रखा और सभी गोकुलवासियों को प्रतिवर्ष गोवर्धन पूजा कर अन्नकूट उत्सव मनाने को कहा। इसके बाद से ही श्रीकृष्ण भगवान गोवर्धनधारी के नाम से भी प्रसिद्ध हुए और इंद्र ने भी कृष्ण के ईश्वरत्व को स्वीकार कर लिया। कहा जाता है कि कृतज्ञ भक्तों ने तभी से गोवर्धन गिरधारी की कृपा को अविस्मरणीय बनाने के लिए अन्नकूट पर्व मनाने का निश्चय किया। अन्नकूट के कूट का संबंध कहीं न कहीं गोवर्धन पर्वत से भी है।