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Jind Local news: जींद जिले की उचाना बाबा फुल्लू साध गौशाला में यज्ञ, सत्संग, भंडारे का आयोजन कर मनाया गया स्वामी का जन्मदिवस

Jind Local news: जींद जिले की उचाना बाबा फुल्लू साध गौशाला में यज्ञ, सत्संग, भंडारे का आयोजन कर मनाया गया स्वामी का जन्मदिवस
 
 जींद जिले की उचाना बाबा फुल्लू साध गौशाला में यज्ञ,

Jind Local News:  जींद जिले के उचाना की बाबा फुल्लू साध गौशाला उचाना खुर्द में स्वामी गौरक्षानंद सरस्वती का जन्मदिवस मनाया गया। स्वामी वजीरानंद सरस्वती प्रबंधक गौशाला बाबा फुल्लू साध उचाना खुर्द ने बतलाया कि हरियाणा प्रांत के महान सिद्ध ऋषि, गोभक्त, कर्म योगी, परम श्रद्धेय ब्रह्मलीन स्वामी गौरक्षानंद सरस्वती का जन्म कार्तिक शुक्ल एकादशी सवंत 1982 विश (1925 ई) में हिसार जिले के गांव भनभौरी में एक साधारण परिवार में हुआ था उनके पिताजी  का नाम लाला राम एवं  माता जी का नाम धापा देवी था। स्वंत 1995 विश में मात्र 13 वर्ष की आयु में घर बार त्याग कर जिला जींद , हरियाणा के गांव उचाना खुर्द गौशाला में ब्रह्मचारी सन्यासी के रूप में आगमन हुआ यहां पर आपने कई वर्षो तक बिना किसी मानदेय के गौ चराने के साथ साथ बाल ब्रह्मचार्य का पालन कर ईश्वर भक्ति की तथा गौ सेवा,योग साधना एवम धार्मिक प्रचार प्रसार किया आपने भक्तिमय जीवन  संघर्ष में आई अनेक बड़ी बड़ी बाधाओं को रास्ते के कांटे न मानकर फूल समझा और निरंतर रास्ते पर आगे बढ़ते रहे। उनके गो सेवा भाव व तप के आगे सभी बाधाए नतमस्तक हो गई।


उन्होंने कहा कि उनके ओजस्व व पारदर्शी कार्यशैली को परख ग्रामीणों ने उनको गौशाला उचाना खुर्द का प्रबंधक नियुक्त किया। तब से लेकर आज तक गौशाला दिन दुगनी रात चुगनी उन्नति के रास्ते पर अग्रसर है, जिससे आज गौशाला में लगभग 7000 गाय की सेवा की जा रही है तथा अलग से नंदी शाला का भी संचालन हो रहा है। इतना ही नहीं उन्होंने जुलाना सफीदों, नरवाना, भुना, उकलाना जैसे शहरों में 9 गौशाला व उचाना मंडी, जींद, कुरुक्षेत्र, हरिद्वार में वृद्धों की सेवा हेतु व गरीब छात्रों के लिए छात्रावास व आश्रम स्थापित किए। नरवाना उपमंडल के खरल गांव में एवं उचाना उपमंडल के गुरुकुल खेड़ा गांव में भी 25 एकड़ में कन्या गुरुकुल की सन 1984 में स्थापना की, जो आज ग्रामीण व शिक्षा की दृष्टि से पिछड़े क्षेत्र में कन्याओं को उच्च शिक्षा प्रदान करने वाली एक शानदार संस्था के रूप में सुशोभित है।

उन्होंने कहा कि वो कभी स्कूल नही गए, फिर भी हिंदी अंग्रेजी भाषाओं का आत्मिक ज्ञान रखते थे। आपने स्त्री शिक्षा, नशा मुक्ति अभियान, ईश्वर भक्ति,हवन यज्ञ, गौ सेवा के आधार पर आम जन को अवगुण छोड़ने को प्रेरित किया। दिव्वांगो के प्रति आपकी विशेष सहानुभूति रही, उन्होंने सैंकड़ों बेरोजगारों को रोजगार दे, उनके जीवन स्तर में सुधार किया। अंधविश्वास के घोर विरोधी थे। उन्होंने झाड़ फूंक, तागा-ताजिब, टोना-टोकना के आधार पर लोगों का ओपरी पराई का इलाज कभी भी नहीं किया। उनको चारों वेदों के हजारों श्लोक कंठस्थ याद थे, वे एक अच्छे कथा वाचक, धार्मिक कवि व लेखक भी रहे। उन्होंने कई धार्मिक पुस्तकों की रचना की तथा अनपढ़ जनों को भी धार्मिक भावना से ओतप्रोत कर कवि, लेखक व गायक बना दिया। 7 अक्टूकर 2016 को ब्रह्मलीन हो गए हजारों श्रद्धालुओं को लगभग दो दिन तक पंक्तिबद अंतिम दर्शन करवाने उपरांत गौशाला उचाना खुर्द में ही दाहसंस्कार किया गया था। इसी स्थान पर समाधि बनाई गई।