OpsBreaking

हरियाणा की वह 10 सिटें जहां हार जीत का अंतर 100 से भी कम रहा,बांट दी मिठाई, मगर मिली हार

हरियाणा की वह 10 सिटें जहां हार जीत का अंतर 100 से भी कम रहा
 
 haryana

हरियाणा विधानसभा के चुनाव अक्सर रोचकता से भरे रहे हैं। हर बार चुनाव में नये किस्से जुड़ते रहे हैं। इतिहास में भी दर्ज हैं। ऐसे भी मौके आए हैं, जब चुनाव में हुई पति की हार का बदला पत्नी ने अगले ही चुनाव में लिया हो। कभी मतगणना के नतीजों की घोषणा से पहले मिठाई बांटने के बाद हार का सामना करना पड़ा।

कई विधानसभा सीटों पर तो मुकाबला इतना करीबी रहा, जो किसी रोमांच से कम नहीं। आज हम बात कर रहे हैं प्रदेश की उन 10 विधानसभा सीटों की, जिनका अंतर 100 वोट से भी कम रहा है। असल में सिर्फ इन सीटों का कम अंतर ही नहीं, बल्कि इनके पीछे के किस्से भी काफी दिलचस्प रहे हैं।

1991 में नारनौंद और रोहट में 38 वोटों से हुई थी जीत

1977 में रेवाड़ी विधानसभा में जनता पार्टी के कर्नल रामसिंह ने विशाल हरियाणा पार्टी के शिव रतन सिंह को 86 वोट से हराया।

* 1982 में साढ़ौरा विधानसभा में भाजपा के भागमल ने 10 वोट के अंतर से कांग्रेस के प्रभु राम को हराया।

* 1982 में यमुनानगर में कांग्रेस के राजेश कुमार ने भाजपा की कमला वर्मा को 63 वोट के अंतर से हराया।

* 1991 में अटेली में कांग्रेस के बंशी सिंह ने जनता पार्टी के अजीत सिंह को 66 वोट से हराया।

* 1991 में दादरी में हरियाणा विकास पार्टी के प्रत्याशी धर्मपाल सिंह ने कांग्रेस के जगजीत सिंह

को 80 वोट से हराया।

* 1991 में नारनौद में जनता दल के वीरेंद्र ने 38 वोट के अंतर से कांग्रेस के जसवंत सिंह को हराया।

* 1991 में रोहट विधानसभा में कांग्रेस के हुकुम सिंह ने 38 बोट के अंतर से जनता पार्टी के मोहिंद्र सिंह को हराया।

* 1996 में घरौंडा में भाजपा के रमेश ने समता पार्टी के रमेश कुमार राणा को 11 वोट से हराया।

* 2005 में घरौंडा में इनेलो की रेखा राणा ने 21 वोट से कांग्रेस के जयपाल शर्मा को हराया।

* 2014 में राई में कांग्रेस के जयतीर्थ ने इनेलो के इंद्रजीत को 03 वोट के सबसे कम अंतर से हराया।

जहां से पति 11 वोट से हारे, वहां पत्नी 21 से जीती

राजनीतिक विश्लेषक राव नरेश चौहान बताते हैं घरौंडा में वर्ष 1996 और 2005 का चुनाव रोचक रहा। पहले पति रमेश कुमार राणा मैदान में उतरे और 10 साल के बाद पत्नी रेखा राणा ने चुनाव लड़ा। घरौंडा में भाजपा से रमेश के सामने समता पार्टी के रमेश कुमार राणा थे। तब 11 वोट के अंतर से रमेश कुमार राणा हार गए थे। उन्होंने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील डाली। चार साल बाद फैसला आया और जीत मिली। 2005 में इसी सीट से उनकी पत्नी रेखा राणा 21 वोट के अंतर से जीतीं। हालांकि दोनों पति-पत्नी की पार्टी लोकदल ही रही


बांट दी मिठाई, मगर मिली हार

साल 1977 के चुनाव में रेवाड़ी में कर्नल राम सिंह जनता पार्टी से चुनाव मैदान में थे। उनके सामने प्रतिद्वंद्वी विशाल हरियाणा पार्टी के शिव रतन सिंह रहे। बैलेट पेपर से मैनुअल गिनती चल रही थी। अंतिम चरण की गिनती पूरी होने पर शिव रतन सिंह आगे थे और बैलेट पेपर की गिनती बची थी। मतगणना केंद्र से बाहर आकर जीत की खुशी जाहिर करने लगे और मिठाई बंटवानी शुरू कर दी। अचानक मतगणना केंद्र के अंदर से सूचना आई कि बैलेट पेपर की गिनती होने पर 86 वोट से कर्नल राम सिंह जीत गए हैं।

1991 में कम अंतर वाली 4 सीटें

वर्ष 1991 में सबसे ज्यादा 4 सीटें करीबी मुकाबले में फंसी थीं। इनमें अटेली, दादरी, रोहट और नारनौंद शामिल हैं। यहां पर जीत का अंतर 38 से लेकर 66 वोट तक रहा। दो सीटों रोहट और नरनौंद पर अंतर 38 वोट का ही बना था।