Haryana News: हरियाणा में खाद की किल्लत होगी कम, खाद की तस्करी न हो, सीमाओं पर पहरा लगाएगा कृषि विभाग

Haryana News: हरियाणा प्रदेश के यमुनानगर जिले की सीमाएं जहां एक ओर उत्तर प्रदेश से लगती है तो वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड व हिमाचल प्रदेश से लगती हैं। ऐसे में खाद की तस्करी ना हो इसको लेकर कृषि विभाग की नजर पैनी है ताकि खाद की तस्करी ना हो। सभी सीमाओं पर नाके लगाये जायेंगे। कृषि विभाग के उप निदेशक डा. आदित्य डा. आदित्य प्रताप डबास ने बताया कि इसको लेकर विभाग पुलिस टीम के साथ नाकाबंदी करेगा।
धान की कटाई लगभग पूरी हो चुकी है। अब किसान जल्द ही गेहूं की बुआई शुरू करेंगे।
कई दिनों से चल रही डीएपी खाद की किल्लत को लेकर अब कृषि विभाग और संजीदा
हो गया है। जानकारी के अनुसार सरकार से इस बाबत चिट्ठी आने के बाद अब इसे लेकर और कदम उठाने कृषि विभाग जा रहा है। इनमें साथ लगते राज्यों की सीमाओं पर निगरानी रखना भी शामिल है। दो हफ्ते बाद गेंहू की बिजाई का सीजन शुरू होने वाला है। धान की फसल सिमेटने के साथ किसान गेंहू, बरसीम आदि की बिजाई की तैयारी शुरू कर देंगे। वहीं इन दिनों डबास। गन्ना, आलू व सरसो की बिजाई चल रही है। जानकारी के अनुसार काफी समय से जिले में डीएपी खाद नहीं है। इसे लेकर भारतीय किसान यूनियन भी चिंता जता चुकी है। अक्तूबर माह से ही इसका इस्तेमाल फसल बिजाई में शुरू हो जाएगा। जानकारी के जिले में 3 दिन पहले तक करीब 15 हजार बैग डीएपी पीओएस मशीनों के अनुसार था।
जिले की सीमाओं पर विभाग रखेगा नजर
अभी तक यूरिया खाद की कालाबाजारी पर अंकुश लगाने के लिए विशेष चौकसी रखी जाती थी, क्योंकि एग्री ग्रेड का यूरिया खाद प्लाईवुड फैक्टिरों में जाने का खतरा होता है। इनमें केवल टैक्नीकल ग्रेड़ का यूरिया ही ग्लू बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है। डीएपी खाद को लेकर कृषि विभाग चौकस हो गया है। इसे लेकर साथ लगती यूपी, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड की सीमाओं पर विशेष नजर रखी जाएगी। इसके अलावा डीएपी खाद की बिक्री पीओएस मशीन से हो इसका विशेष ख्याल रखा जाएगा।
बुआई से पहले लगेगा रैक : आदित्य
कृषि विभाग के उप निदेशक डा. आदित्य प्रताप डब्ास ने बताया कि जिले में खाद को लेकर उनकी टीमें पहले से तैनात हैं और अब नये नाके लगाये जा रहे हैं। जो खाद किसानों के लिए आता है, वह उन्हें ही मिलेगा। खाद की तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए पहले ही वह तत्पर है। अभी किसानों को डीएपी, यूरिया आदि खाद की ज्यादा जरूरत भी नहीं है। डा. डबास का कहना है कि जल्दी ही डीएपी खाद का रैंक लग जाएगा। उनका कहना है कि डीएपी की कालाबाजारी न हो इसे लेकर जिले के साथ लगती दूसरे राज्यों की सीमाओं पर विशेष चौकसी रखी जाएगी। उप निदेशक का कहना है कि किसानों को खाद व बीज आदि को लेकर कोई दिक्कत नहीं होने दी जाएगी।