हरियाणा सरकार पर हाई कोर्ट ने लगाया ₹100000 का जुर्माना कच्चे कर्मचारियों से जुड़ा है मामला जाने जुर्माना लगाने का कारण
हरियाणा पंजाब हाई कोर्ट ने कोर्ट के आदेशों के बावजूद 2003 की नीति के मद्देनजर कुछ अस्थाई कर्मचारियों की नौकरी को नियमित करने के लिए उनके मामलों की जांच न करने पर हरियाणा सरकार पर ₹100000 का जुर्माना लगाया।
इस मामले में हरियाणा सरकार ने 2024 अप्रैल में हाईकोर्ट की एकल पीठ द्वारा पारित निर्देशों के अनुपालन में मामलों की जांच किए बिना ही हाईकोर्ट के समक्ष अपील दायर करने की जल्दबाजी की
जस्टिस अनूपिंदर सिंह ग्रेवाल और जस्टिस लेपिता बनर्जी की खंडपीठ ने हरियाणा सरकार द्वारा की गई अपील को खारिज करते हुए यह आदेश दिए।
खंडपीठ ने कहा कि हमें एकल पीठ के आदेश में कोई अवैधानिकता नहीं दिखती क्योंकि निर्देश केवल कर्मचारियों के मामले की जांच करने और इन्हें नियमती करण का लाभ देने के लिए दिया गया था यदि वे इसके लिए पात्र पाए जाते हैं तो।
साथ ही कहा कि सक्षम प्राधिकारी को मामलों को खारिज करने की स्वतंत्रता भी दी गई थी यदि उनके राय थी कि कर्मचारी नियमितीकरण के हकदार नहीं है लेकिन उसे स्थिति में विस्तृत कारण बताए जाने थे।
सरकार ने अपनी नीति के अनुसार नियमितीकरण के लिए प्रतिवादियों के मामलों पर विचार करने और निर्णय लेने की बजाय अपील दायर करके अदालत का दरवाजा खटखटाया है जो पूरी तरह से गलत है इसलिए कोर्ट सरकार पर ₹100000 का जुर्माना लगाती है