हरियाणा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के घर के दरवाजे जनता के लिए खुले, न कोई पूछताछ, न कोई सुरक्षा जांच
हरियाणा के विधानसभा चुनाव में अब थोड़ा सा समय शेष है भाजपा लगातार तीसरी बार सत्ता पाने के लिए पूरे जोर शोर से चुनाव लड़ रही है इस लेख में पढ़िए cm नायब सैनी का मिर्जापुर माजरा गांव से निकलकर चंडीगढ़ के सीएम हाउस तक का सफर
नारायणगढ़ विधानसभा(narayangarh vidhansabha) क्षेत्र। इस हलके में स्थित है मिर्जापुर माजरा, जो कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी (Haryana CM Nayab Singh Saini)का पैतृक गांव हैं। छोटे से गांव में प्रवेश करते ही थोड़ी दूरी पर बना है एक बड़ा सा दोमंजिला भवन, जिसमें मुख्यमंत्री (CM Nayab Singh Saini)का घर है। राजधानी के सीएम हाऊस (CM house)से बिल्कुल अलग।
चंडीगढ़ स्थित सरकारी निवास संत कबीर कुटी(sant Kabir Kutty) में जहां अभेद सुरक्षा सहित पूरा ताम-झाम है, वहीं पैतृक घर के दरवाजे सभी के लिए खुले हैं। न कोई सुरक्षा जांच, न भीड़-भाड़ और न कोई ज्यादा पूछताछ। बस रजिस्टर में एंट्री की थोड़ी बहुत औपचारिकता जरूर निभानी पड़ती है।
हरियाणा के CM नायब सिंह सैनी के गांव में है कुल 1000 वोटर
करीब एक हजार मतदाताओं वाला यह गांव नायब के मुख्यमंत्री (Haryana CM)बनने के बाद से सुर्खियों में है। गांव से नायब के लगाव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री(Haryana CM) बनने के तुरंत बाद वे नगर खेड़ा का आशीर्वाद लेने पहुंचे थे। ग्रामीणों के अनुसार मनोहर सरकार की पहली पारी में कैबिनेट मंत्री(cabinet mantri) और फिर पांच साल कुरुक्षेत्र से सांसद रहे सैनी में सीएम बनने के बाद भी न कोई बदलाव आया है और न गांव से उनका संपर्क कम हुआ।
नायब सैनी के चचेरे भाई ओमप्रकाश सैनी(Om Prakash Saini) बताते हैं कि प्रतिदिन सुबह से ही सीएम निवास पर लोगों का आना-जाना शुरु हो जाता है, जिनकी आवाभगत उनके दूसरे भाई और भतीजे करते हैं। समस्याओं को सुनने की जिम्मेदारी नंबरदार(numberdar) की है, जिन्हें सीएम (Haryana CM Nayab Singh Saini)के संज्ञान में लाकर निवारण कराया जाता है।
इसी तरह भाभी कुलदीप कौर बताती हैं कि नायब(Haryana CM naib Singh Saini) की पत्नी सुमन सैनी बेहद मिलनसार महिला हैं। निरंतर संवाद होता रहता है। हालांकि, इस दौरान उनका दर्द भी छलका। कुलदीप कौर ने बताया कि उनका बेटा पानीपत(Panipat) में अनुबंध की नौकरी पर लगा हुआ है। वह चाहते हैं कि उसकी बदली अंबाला हो जाए, ताकि घर आ-जा सके। इस संबंध में नायब से दो-तीन बार बात हुई है। उन्होंने आश्वासन भी दिया, लेकिन अभी तक बेटे का स्थानांतरण नहीं हो पाया है।