सरकार का फैसला - बिना मिलर्स के अफसर करेंगे धान खरीद-उठान
प्रदेश में मिलर्स की हड़ताल के कारण धान खरीद तेजी नहीं पकड़ पा रही, जबकि आवक लगातार बढ़ रही है। प्रदेश की मंडियों में 2.90 लाख टन धान पहुंच चुकी है, लेकिन खरीद मात्र 64 हजार टन की हुई है। 2 लाख 26 हजार टन धान मंडियों में बिना खरीद के इंतजार में पड़ा है।
सरकार ने बुधवार को फैसला लिया कि धान की खरीद व उठान का जिम्मा अधिकारियों को सौंप दिया है। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के निदेशक मुकुल कुमार के अनुसार पांच आईएएस की ड्यूटी खरीद व्यवस्था के लिए लगाई है। वे खुद भी फील्ड में हैं। सभी जिलों में अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि मंडियों में किसानों को किसी तरह की दिक्कत नहीं होनी चाहिए। चावल मिलों के अलावा अन्य स्थानों पर धान का स्टॉक किया जा रहा है।
दूसरी ओर, बुधवार को पटियाला में पंजाब व हरियाणा के राइस मिलर्स की बैठक हुई। इसमें फैसला लिया गया कि कोई भी मिलर्स सीएमआर (कस्टम मिलिंग राइस) का काम बिल्कुल नहीं करेगा। मिलर्स ने फैसला लिया कि जब तक मांगों को पूरा नहीं किया जाता और पुराने पेंडिंग बिलों को पास कर उनका पैसा नहीं लौटाया जाता, तब तक हड़ताल जारी रहेगी।
किसान मंडियों में बेबसः कुरुक्षेत्र व यमुनानगर की मंडियों में सबसे ज्यादा खरीद हो रही है। सबसे कम कैथल, पानीपत, सिरसा, जींद व करनाल में हो रही है। एजेंसियों के इंस्पेक्टर 17 प्रतिशत नमी वाली ढेरियों को ही लिख रहे हैं। हालांकि, आढ़ती इसके लिए राजी नहीं हैं।
क्योंकि बिना मिलर्स के खरीदी हुई धान का उठान जल्द होना मुश्किल है। आढ़ती को धान की घटती का डर सता रहा है। कैथल मंडी में पहुंचे किसान रमेश व गजे सिंह का कहना है कि 7 दिन से मंडी में पड़े हैं। धान की खरीद नहीं हो रही है। सभी मिलर्स की हड़ताल का बहाना बना रहे हैं।
मिलर्स बोले- पिछले साल करोड़ों का घाटा हुआ, इस बार नहीं झेलेंगे
ऑल इंडिया राइस मिलर्स एसोसिएशन के प्रधान तरसेम सैनी व हरियाणा राइस मिलर्स एसो. के प्रधान हंसराज सिंगला ने कहा कि एफसीआई की गलत नीतियों के कारण 2023-24 सीजन के दौरान मिलर्स को करोड़ों रुपए का घाटा हुआ है। चावल लगाने के लिए एफसीआई के पास जगह तक नहीं थी, जिस कारण पूरे साल में भी चावल की डिलीवरी नहीं हो पाई। धान स्टॉक में सूख गया, जिससे उसकी यील्ड भी कम हो गई और वजन में भी काफी घटती हुई। इसका पूरा नुकसान मिलर्स को झेलना पड़ा। उन्होंने कहा कि इस मीटिंग में 3 हजार के करीब मिलर्स ने हिस्सा लिया।
ये हैं मांगेंः मिलिंग चार्ज बढ़ाकर 120 रु. किया जाए
20 करोड़ रुपए बकाया का भुगतान जल्द हो। मिलिंग चार्ज 120 रुपए प्रति क्विंटल किया जाए। चावल लगाने के लिए सरकारी गोदामों में जगह की पुष्टि की जाए। यील्ड की परसेंटेज 67% से 62% की जाए। राइस मिल में धान लगाने का किराया दिया जाए। नुकसान को सरकार वहन करें। सीएमआर का चावल पास वाले गोदाम में लगे। दूर ले जाने पर किराया मिले। सीएमआर का चावल लगाने का किराया बाजार के दर पर मिले। ये क्लियर हो कि चावल एफआरके लेना है या नॉन एफआरके लेना है।