51 कुंडीय महायज्ञ का हुआ समापन, उचाना कलां के प्राचीन शिव मंदिर में आयोजित हुआ महायज्ञ
उचाना कलां के प्राचीन शिव मंदिर परिसर में चल रहे 51 कुंडीय महायज्ञ रविवार को सम्पन्न हुआ। तीन दिनों तक महायज्ञ के साथ-साथ हर रोज महा-आरती भी हुई। सुबह, शाम दो समय हवन मंदिर परिसर में हुआ। त्रिपुरा पीठाधीश्वर चक्रवर्ती यज्ञ सम्राट श्रीश्री 1008 हरिओम महाराज के सान्निध्य में महायज्ञ का समापन हुआ।
श्रीश्री 1008 हरिओम महाराज ने कहा कि हवन काम हारे जीवन में बहुत महत्व है। हवन घर में अवश्य करना चाहिए। मंत्रोजाप से हवन घर में होने से सुख, समृद्धि आती है तो ये वातावरण की शुद्धि के लिए भी जरूरी है। तीन दिनों तक उचाना क्षेत्र से लोगों ने महा-आरती का लाभ भी लिया। इस तरह का आयोजन जिस भी क्षेत्र में होता है वो क्षेत्र भाग्यशाली होता है।
उन्होंने कहा कि माता-पिता से बढ़चकर जीवन में कुछ नहीं होता है। माता-पिता की सेवा करने से ही पुण्य की प्राप्ति होती है। माता-पिता की सेवा घर में न करके बेशक कुछ करते रहे उसका कुछ लाभ नहीं है। माता-पिता की सेवा में ही सब कुछ होता है। इसलिए माता-पिता की सेवा सबसे पहले करें। जिस घर में माता-पिता हसंते है वो घर खुशहाल मिलेगा। इस मौके पर जेपी कौशिक, मनोहर लाल संघो, लक्ष्मीनारायण शास्त्री, बली शर्मा, अनिल शर्मा, रामदिया शर्मा, बलवान कापड़ो, रामनिवास दनौदा, वीरेंद्र करसिंधु, सुभाष कापड़ो, वीरेंद्र भारद्वाज, राजू शर्मा, भीष्म, ऋषि लाल हिसार, नरेंद्र मेचू, शीशपाल मुंशी, रिषीराम शर्मा डूमरखा, सत्यनारायण, लीलू शर्मा छात्तर मौजूद रहे।