उचाना कलां में आयोजित हो रहा है 51 कुंडीय हवन, शाम को होती है दिव्य महा-आरती
उचाना कलां में आयोजित हो रहा है 51 कुंडीय हवन, शाम को होती है दिव्य महा-आरती
Sep 7, 2024, 21:51 IST
![उचाना कलां](https://opsbreaking.com/static/c1e/client/115716/uploaded/326793da5b06448cb31cb4702aab46b1.jpeg?width=968&height=545&resizemode=4)
उचाना कलां के प्राचीन शिव मंदिर परिसर में चल रहे 51 कुंडीय हवन में क्षेत्र भर से श्रद्धालु पहुंच रहे है। त्रिपुरा पीठाधीश्वर चक्रवर्ती यज्ञ सम्राट श्री श्री 1008 हरिओम महाराज के सान्निध्य में महायज्ञ 8 सितंबर तक चलेगा। हर रोज शाम 6 बजे दिव्य महा-आरती का लाभ श्रद्धालु उठा रहे है।
हवन को लेकर हरिओम महाराज ने कहा कि हवन से वातावरण शुद्ध होता है तथा मन और शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। मन की शुद्धता होती है और हद्य में शांति और संतोष बढ़ता है। सुख और समृद्धि मिलती है। कुंडली में बुरे ग्रहों का प्रभाव कम होता है व जीवन में आ रही रूकावटें दूर होती है। व्यापार, खेती में भी फायदा होता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक हवन के औषधीय धुएं से फसल को नुकसान पहुंचाने वाले हानिकारक जीवाणुओं से भी मुक्ति मिलती है। कफ, मांसपेशियों में खिंचाव, गर्दन में दर्द, आर्र्थराइटिस जैसे रोगों में आराम मिलता है। अग्नि व धुएं से तापमान से हानिकारक रोगाणु और विषाणु नष्ट होते है। पवित्र वातावरण से पारिवारिक एवं सामाजिक संबंधों सौहार्द बढ़ता है।
वेदिका में प्रयुक्त दिव्य ईंट की महता के बारे में बताते हुए महाराज ने कहा कि विभिन्न औषधियों, समिधा की अग्नि में पकने से हवन वेदिका की ईंटों में दिव्यता आती है। मंत्रोच्चारण व दिव्य अग्नि का तेज हवन वेदिका की ईंटों से आत्मसात हो जाता है एवं वो उस जगह को भी सकारात्मक रखता है जहां उस ईंट को रखा जाता है। ईंट को निर्माण कार्य की नींव में रखने से घर/प्रतिष्ठान में सुख, समृद्धि एवं बरकत बनी रहती है। ईंट अभिमंत्रित होती है तथा यज्ञ का सारा पुण्य इसमें समाया होता है। अत: इसे घर में पूजा स्थल पर रखने से 51 कुंडीय हवन यज्ञ की दिव्यता की अनुभूति होगी तथा घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा। जिससे मन शांत व पढ़ाई, व्यापार, आपसी संबंधों में मधुरता तथा सभी कार्यों में निश्चित सफलता मिलेगी।
हवन की भभूत (राख) के बारे में श्रीश्री 1008 हरिओम महाराज ने कहा कि हवन की राख को पूरे घर में छिड़काव करने से वातावरण शुद्ध होता है। इससे सुख, समृद्धि भी आती है सभी वास्तुदोष दूर होते है। राख को तिजोरी में रखने से इससे धन लाभ होता है। राख का तिलक लगाने से देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जीवन में शांति बनी रहती है। राख को लाल कपड़े में बांधकर अपने आॅफिस / प्रतिष्ठान में रखने से तरक्की मिलती है, आय में वृद्धि के योग बनते है। नजर दोष भी इससे दूर होता है शारीरिक समस्याओं का सामना भी नहीं करना पड़ता है। जो दिव्य महा-आरती होती है उसको सुनने का मौका कभी-कभी मिलता है। उचाना क्षेत्र में हो रही दिव्य महा-आरती एवं 51 कुंडीय यज्ञ में हिस्सा लेकर पुण्य के भागीदारी बने। इस मौके पर जेपी कौशिक, मनोहर लाल संघो, लक्ष्मीनारायण शास्त्री, बली शर्मा, अनिल शर्मा, रामदिया शर्मा, बलवान कापड़ो, रामनिवास दनौदा, वीरेंद्र करसिंधु, सुभाष कापड़ो, वीरेंद्र भारद्वाज, राजू शर्मा, भीष्म, ऋषि लाल हिसार, नरेंद्र मेचू, शीशपाल मुंशी, रिषीराम शर्मा डूमरखा, सत्यनारायण, लीलू शर्मा छात्तर मौजूद रहे।
हवन को लेकर हरिओम महाराज ने कहा कि हवन से वातावरण शुद्ध होता है तथा मन और शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। मन की शुद्धता होती है और हद्य में शांति और संतोष बढ़ता है। सुख और समृद्धि मिलती है। कुंडली में बुरे ग्रहों का प्रभाव कम होता है व जीवन में आ रही रूकावटें दूर होती है। व्यापार, खेती में भी फायदा होता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक हवन के औषधीय धुएं से फसल को नुकसान पहुंचाने वाले हानिकारक जीवाणुओं से भी मुक्ति मिलती है। कफ, मांसपेशियों में खिंचाव, गर्दन में दर्द, आर्र्थराइटिस जैसे रोगों में आराम मिलता है। अग्नि व धुएं से तापमान से हानिकारक रोगाणु और विषाणु नष्ट होते है। पवित्र वातावरण से पारिवारिक एवं सामाजिक संबंधों सौहार्द बढ़ता है।
वेदिका में प्रयुक्त दिव्य ईंट की महता के बारे में बताते हुए महाराज ने कहा कि विभिन्न औषधियों, समिधा की अग्नि में पकने से हवन वेदिका की ईंटों में दिव्यता आती है। मंत्रोच्चारण व दिव्य अग्नि का तेज हवन वेदिका की ईंटों से आत्मसात हो जाता है एवं वो उस जगह को भी सकारात्मक रखता है जहां उस ईंट को रखा जाता है। ईंट को निर्माण कार्य की नींव में रखने से घर/प्रतिष्ठान में सुख, समृद्धि एवं बरकत बनी रहती है। ईंट अभिमंत्रित होती है तथा यज्ञ का सारा पुण्य इसमें समाया होता है। अत: इसे घर में पूजा स्थल पर रखने से 51 कुंडीय हवन यज्ञ की दिव्यता की अनुभूति होगी तथा घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा। जिससे मन शांत व पढ़ाई, व्यापार, आपसी संबंधों में मधुरता तथा सभी कार्यों में निश्चित सफलता मिलेगी।
हवन की भभूत (राख) के बारे में श्रीश्री 1008 हरिओम महाराज ने कहा कि हवन की राख को पूरे घर में छिड़काव करने से वातावरण शुद्ध होता है। इससे सुख, समृद्धि भी आती है सभी वास्तुदोष दूर होते है। राख को तिजोरी में रखने से इससे धन लाभ होता है। राख का तिलक लगाने से देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जीवन में शांति बनी रहती है। राख को लाल कपड़े में बांधकर अपने आॅफिस / प्रतिष्ठान में रखने से तरक्की मिलती है, आय में वृद्धि के योग बनते है। नजर दोष भी इससे दूर होता है शारीरिक समस्याओं का सामना भी नहीं करना पड़ता है। जो दिव्य महा-आरती होती है उसको सुनने का मौका कभी-कभी मिलता है। उचाना क्षेत्र में हो रही दिव्य महा-आरती एवं 51 कुंडीय यज्ञ में हिस्सा लेकर पुण्य के भागीदारी बने। इस मौके पर जेपी कौशिक, मनोहर लाल संघो, लक्ष्मीनारायण शास्त्री, बली शर्मा, अनिल शर्मा, रामदिया शर्मा, बलवान कापड़ो, रामनिवास दनौदा, वीरेंद्र करसिंधु, सुभाष कापड़ो, वीरेंद्र भारद्वाज, राजू शर्मा, भीष्म, ऋषि लाल हिसार, नरेंद्र मेचू, शीशपाल मुंशी, रिषीराम शर्मा डूमरखा, सत्यनारायण, लीलू शर्मा छात्तर मौजूद रहे।