सरकार बिजली पानी जैसी सब्सिडी सीधी खातों में ट्रांसफर करेगी, सब्सिडी अपने बेंक अकाउंट में पाने के लिए जाने पूरी प्रक्रिया
बिजली, पानी, गैस सिलेंडर, बस किराया, पेट्रोल-डीजल आदि पर सरकार कुछ राशि की छूट (सब्सिडी) देती है, अब उसकी जगह लाभार्थियों के बैंक खाते में सीधे पैसे ट्रांसफर करने की तैयारी है। इसका एक और बड़ा फायदा ये होगा कि फर्जी, अपात्र, और डुप्लीकेट लाभार्थियों की छंटनी की जा सकेगी। कैबिनेट सचिवालय के अनुसार, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर डीबीटी) के जरिए अब तक 3.48 ( लाख करोड़ रु. की बचत हो चुकी है।
दरअसल, आरबीआई, कैग और अन्य वित्तीय संस्थानों ने सरकारी खर्च में 'नॉन मेरिट सब्सिडी' पर अंकुश लगाने की सिफारिश की है। इसे देखते हुए सरकार, सब्सिडी को डीबीटी से जोड़ने का खाका बना रही है। वित्त मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद नॉन मेरिट सब्सिडी को उपयोगी बनाने के तरीकों पर बीते कुछ वर्षों से विचार कर रही है। इसमें सबसे ज्यादा चिंता बिजली सब्सिडी को लेकर है। राज्यों की तरफ से दी जाने वाली सब्सिडी के आकलन में यह तथ्य सामने आया है कि कुल बजट का लगभग 8-9% सब्सिडी देने में खर्च होता है। यह राशि पुल, सड़क निर्माण, शिक्षा, स्वास्थ्य, पुलिसिंग व ग्रामीण विकास के मद में होने वाले कुल खर्च अनुपात से भी अधिक है। बिहार, राजस्थान, गुजरात और आंध्र जैसे राज्यों में कुल सब्सिडी का 50% से अधिक हिस्सा बिजली पर खर्च हो जाता है। इससे कई राज्यों में बिजली कंपनियों की आर्थिक हालत
खराब हो चुकी है।
सब्सिडी की जगह कैश से मार्केट में ऐसे आएंगे पैसे
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से जुड़े एक अधिकारी का कहना है कि सब्सिडी जब परोक्ष रूप से मिलती है (फ्री बिजली) तो लोगों का बजट कम जरूर होता है, लेकिन इसका एक बड़ा हिस्सा 'गैर जरूरी बचत' की श्रेणी में आता है। लेकिन जब यही रकम कैश ट्रांसफर होकर खाते में आती है तो लोग उसका उपयोग बाजार में करते हैं। यह बैंकिंग और मार्केटिंग संस्थाओं के अध्ययन से पता चलता है। लिहाजा डीबीटी की राशि खर्च होने की संभावना सब्सिडी से मिली बचत के मुकाबले अधिक होती है। • इसे ऐसे समझिए... यदि दो सौ यूनिट तक बिजली बिल माफ है तो सब्सिडी देने वाले राज्य दो सौ यूनिट फ्री करने की जगह इतने पैसे सीधे उपभोक्ता के खाते में ट्रांसफर कर देंगे। इसका लाभ यह होगा कि बिजली कंपनियों का उधार नहीं बढ़ेगा और खाते में मिली राशि का खर्च लाभार्थी बाजार में भी कर सकेंगे।
फायदा ये है कि... कंपनियों की उधारी नहीं बढ़ेगी, सीधे खाते में मिली राशि बाजार में खर्च हो पाएगी
पहले समझते हैं कि ये नॉन मेरिट सब्सिडी क्या है? दरअसल, सब्सिडी दो तरह की होती है, एक मेरिट सब्सिडी और दूसरी- नॉन मेरिट सब्सिडी। मेरिट सब्सिडी में स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्र आते हैं। समाज के जरूरतमंद लोगों को इसका प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से लाभ मिलता है। वहीं, बिजली, पानी और ट्रांसपोर्ट आदि में मिलने वाली सब्सिडी को नॉन मेरिट सब्सिडी माना जाता है क्योंकि इसका प्रत्यक्ष लाभ नहीं मिलता है और न ही कोई असेट बनती है। • वित्त मंत्रालय के अधिकारी का कहना है कि नॉन मेरिट सब्सिडी से कई राज्यों का लोन कैप (कर्ज लेने की सीमा) भी लगभग फिक्स हो गया है। लिहाजा वेतन, पेंशन और ब्याज पर भी इसका असर पड़ने लगा है। इसी वजह से केंद्र इस योजना की तैयारी में है।
इस नए प्रावधान में 15 स्कीमें होंगी, राज्यों से भी बात हो गई
वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि इसके लिए राज्य सरकारों से मशविरा लगभग पूरा हो चुका है। ज्यादातर राज्य इस दिशा में बढ़ने के लिए तैयार हैं। केंद्र और राज्य सरकारों की लगभग 15 स्कीमों (सब्सिडी) को नए प्रावधानों के दायरे में लाने की औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं। ये स्कीम दायरे में हो सकती हैं बिजली, पानी, बस किराया, एलपीजी सिलेंडर, ब्याज माफी, कुछ फसलों का बीमा, लैपटॉप, स्कूटी, टैबलेट आदि। बतौर उदाहरण, अभी सरकार लैपटॉप-स्कूटी आदि खरीदकर लाभार्थियों में बांटती है। नई व्यवस्था के तहत इन चीजों के पैसे सीधे खाते में भेज सकती है।