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आलू की खुदरा कीमत का सिर्फ 37% , प्याज की कीमत का 36%ही पाते हैं किसान

आलू की खुदरा कीमत का सिर्फ 37% , प्याज की कीमत का 36%ही पाते हैं किसान
 
Farmers get only 37% of the retail price of potatoes, 36% of the price of onions

बाजार में टमाटर की खुदरा कीमत 70-90 रुपये प्रति किलो है, लेकिन इसकी पैदावार करने वाले किसान को इस कीमत का अधिकतम 33 प्रतिशत ही मिलता है। इसी तरह से आलू की खुदरा कीमत में 37 प्रतिशत, प्याज की खुदरा कीमत का 36 प्रतिशत ही किसानों को मिलता है। यह बात आरबीआइ की तरफ से गुरुवार को जारी एक अध्ययन पत्र में कही गई है। आरबीआइ ने 12 प्रमुख खाद्य उत्पादों की खुदरा कीमतों और उससे जुड़े सभी आयामों पर चार अध्ययन रिपोर्ट जारी की हैं। रिपोर्टों से इस बात का पता चलता है कि टमाटर, आलू, प्याज, केला, आम, अंगूर, चना, तूर, मूंग, दूध, पाल्ट्री उत्पाद और अंडे की खुदरा कीमतें जब बढ़ती हैं तो किसानों को उस हिसाब से बहुत फायदा नहीं होता।

ये रिपोर्ट यह भी बताती हैं कि आम खाद्य उत्पादों के मुकाबले दलहन और पाल्ट्री या दूध से 
जुड़े किसानों की खुदरा कीमतों में ज्यादा हिस्सेदारी होती है। मसलन, दूध की खुदरा कीमत में किसानों की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत, पाल्ट्री उत्पादों में 56 प्रतिशत और अंडे में 75 प्रतिशत तक होती है।

इसी तरह से चना की खुदरा कीमत में किसानों को 75 प्रतिशत, मूंग में 70 प्रतिशत और तूर में 65 प्रतिशत हिस्सा किसानों को होता है। यानी दूसरे शब्दों में कहें तो प्रोटीन आधारित उत्पादों में जब भी कीमतें बढ़ेंगी तो किसानों को उसी हिसाब से ज्यादा फायदा होगा। इसी तरह से केला की खुदरा कीमत का 31 प्रतिशत, अंगूर का 35 प्रतिशत और आम की कीमतों का 45 प्रतिशत किसानों को मिलता है। हाल में यह देखा जा रहा है कि खाद्य उत्पादों की महंगाई की वजह से समूचे महंगाई के हिसाब-किताब में गड़बड़ी हो जाती है। यही वजह है कि आरबीआइ ने खाद्य महंगाई पर ज्यादा तवज्जो देना शुरू किया है। हालांकि खाद्य उत्पादों की महंगाई को थामने में आरबीआइ की भूमिका बहुत ही सीमित होती है।

खाद्य उत्पादों की खुदरा कीमतों में किसानों की हिस्सेदारी पर आरबीआइ की अध्ययन रिपोर्ट

खाद्य पदार्थों की खुदरा कीमतें बढ़ने पर किसानों को नहीं होता है बहुत ज्यादा फायदा

दुलाई का खर्च भी वहन करते हैं किसान - रिपोर्ट में आलू की कीमतों की स्थिति को देखें तो यह बात सामने आती है कि एक आम ग्राहक ने अगर एक किलो आलू के लिए 100 रुपये का भुगतान किया है तो इसमें से 36.7 रुपये किसान को मिलता है, 16.2 रुपये ट्रेडर्स को मिलता है, 16 रुपये थोक विक्रेता को मिलता है और 31 रुपये खुदरा दुकानदार को मिलता है। प्याज को लेकर भी कमोवेश - यही स्थिति है।

यहां किसानों को 36.2 प्रतिशत, ट्रेडर्स को 17.6 प्रतिशत, थोक विक्रेता को 15 प्रतिशत और रिटेलर्स 2 को 31.3 प्रतिशत मिलता है। किसानों को ढुलाई आदि का 

खर्च भी वहन करना पड़ता है। रिपोर्ट में टमाटर, प्याज व - आलू (टाप) की कीमतों में स्थिरता बनाए रखने के लिए देश  में ज्यादा से ज्यादा किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ)  स्थापित करने, कृषि उत्पादों की मार्केटिंग में सुधार करने,  फ्यूचर ट्रेडिंग शुरू करने का सुझाव दिया गया है।