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बीज रहित फलों के पौधों की नर्सरी से सालाना 80000 आमदनी उठा रहा है किसान

बीज रहित फलों के पौधों की नर्सरी से सालाना 80000 आमदनी उठा रहा है किसान
 
पौधों की नर्सरी

गांव गिगोरानी के किसान विरेंद्र सहु ने बागवानी में मिसाल कायम की है। उनकी 3 एकड़ नर्सरी इंडिया नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड (एनएचबी) से प्रमाणित है। यह उतरी भारत की प्रसिद्ध स्टार रैंकिंग नर्सरी है, जिसमें बीज रहित फलों के पौधों की पौध पीयू । किन्नू, रेड बेल्ट माल्टा, जाफा माल्टा, कागजी नींबू, मीठा माल्टा, मौसमी, अमरूद की हिसार सफेदा, हिसार सुर्खा व ताइवान पिंक समेत 14 वेरायटी के सालाना 80 हजार पौधे तैयार करते हैं। विरेंद्र सहु बताते हैं कि उन्होंने हिंदी में पोस्ट ग्रेजुएट की है। वर्ष 2017 में उन्होंने 5 हजार बीज रहित फलों वाले पौधों की बेटी वर्णिका के नाम से नर्सरी तैयार की। सालाना 80 हजार पौधों का कारोबार है। इससे 20 एकड़ परंपरागत खेती के बराबर आमदनी है। उनकी नर्सरी से आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ तक पौध जाती है। इंडो इजरायल तकनीक से तैयार पौध की एडवांस बुकिंग रहती है।

उन्होंने बताया कि कैलिफ़ोर्निया में बीज रहित फलों की बागवानी होती है। उन्होंने यूट्यूब से वीडियो देख नर्सरी तैयार की। सभी पौधे नेट हाउस व पोली बैग में तैयार होते हैं। फॉर्बेट ड्रिप पैटर्न से पानी देते हैं। हरियाणा के अलावा 20 फीसदी बीज रहित फलों के बाग उसकी नर्सरी से तैयार हैं। चौधरी चरणजीत सिंह हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की ओर से 3 बार सम्मानित किया जा चुका है।

उन्नत किस्म के पौधों का वितरण: भारत सरकार द्वारा किसानों की आय बढ़ाने और उनके जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के उद्देश्य से शुरू किए गए राष्ट्रीय बागवानी मिशन का असर अब दिखने लगा है. इस अभियान के तहत सब्जी, फल-फूल और मसालों की खेती को प्रोत्साहन देकर किसानों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने का काम किया जा रहा है. इसी के तहत भिवानी जिला के गिगनाऊ गांव में कम सिंचाई से भी तैयार होने वाली सब्जियों की छह लाख पौधे तैयार कर दक्षिण हरियाणा के किसानों को 75 प्रतिशत सब्सिडी पर उपलब्ध करवाई जा रही है.

इंडो इजराइल तकनीक का इस्तेमाल: भिवानी के गिगनाऊ गांव में स्थित अर्ध शुष्क बागवानी केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ. रामस्वरूप साहू ने बताया कि इंडो इजराइल तकनीक पर आधारित सब्जियों की विभिन्न पौधे यहां तैयार की गई है. रामस्वरूप साहू के अनुसार ड्रिप इरीगेशन, नेट हाउस, पोली हाउस का प्रयोग करने के साथ ही इन पौधे को तैयार करने में ऑटो मिशन सिस्टम का प्रयोग किया गया है. इन पौधों की खास बात यह है कि इन्हें ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती है. कम पानी के इस्तेमाल से भी उनकी उत्पादकता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है.