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मशरूम की खेती कब और किस महीने में करनी चाहिए, जानिए इसके लाभ और खेती करने का तरीका।

मशरूम की खेती कब और किस महीने में करनी चाहिए, जानिए इसके लाभ और खेती करने का तरीका।
 

मशरूम के डिमांड शहरों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक अधिक होती है मशरूम प्रोटीन से भरपूर होता है मशरूम पुरातन काल से ही भोजन के साथ यह औषधि के रूप में भी उपयोग किया जाता है इसमें  पोषक तत्व होते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं मशरूम जितना खाने में लाभदायक होता है उतने ही इसकी खेती में फायदे मिलते हैं कम लागत के साथ किसान मशरूम की खेती से अधिक पैदावार ले सकता है।

रायबरेली के राजकीय कृषि केंद्र शिवगढ़ के सहायक विकास अधिकारी बीएससी एजी बैचलर ऑफ साइंस इन एग्रीकल्चर कृषि दिलीप सोनी ने कहा है कि मशरूम खाने में स्वादिष्ट होने के साथ ही हमारे सेहत के लिए भी काफी लाभदायक होता है इसके खेती किसानों के लिए बहुत लाभदायक होती है इसके लिए ज्यादा जमीन की आवश्यकता नहीं होती इसे आप अपने घर के कमरे में फिर झोपड़पट्टी में भी आसानी से लगा सकते हैं।


कैसे करें मशरूम की खेती।

मशरूम की खेती करने के लिए सबसे पहला सुखे भूसे की आवश्यकता होती है इसमें कुछ रासायनिक मिलाकर खाद तैयार की जाएगी इसमें लगभग 1 महीने का समय लगेगा इसके बाद मशरूम खाद के मिश्रण को ट्रे या पैकेट में भरकर इसमें मशरूम के सामान मिला देते हैं एक क्विंटल खाद से लगभग 15 किलोग्राम मशरूम का पैदावार किया जा सकता है।

मशरूम की खेती के लिए सबसे उपयुक्त समय अक्टूबर से लेकर मार्च के बीच का होता है इसकी खेती के लिए छायादार जगह की आवश्यकता होती है इसलिए यह बंद कमरे में या फिर झोपड़ी में भी लगाया जा सकता है।

इनकी खेती के लिए न्यूनतम 15 और अधिकतम 22 डिग्री सेल्सियस का तापमान होना आवश्यक है 80 से 90% तक उसे जगह पर आद्रता होनी चाहिए साथ ही अगर आप पहली बार मशरूम की खेती कर रहे हैं तो मुख्य रूप से उन्नत किस्म के प्रजातियों बटन मशरूम , ओएस्टर मशरूम का उत्पादन किया जा सकता है।

देश में सबसे अधिक मशरूम का प्रोडक्शन बिहार में होता है पहले इस मामले में उड़ीसा नंबर वन राज्य माना जाता था राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के मुताबिक साल 2021-22 में बिहार में 28,000 टन मशरूम का प्रोडक्शन हुआ था यह देश में कुल मशरूम उत्पादन का दसवां प्रतिशत से अधिक है खास बात यह है कि बिहार राज्य मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिए  सरकार किसानों को सब्सिडी भी देती है यहां पर मशरूम की खेती करने के लिए किसानों को 75% तक सब्सिडी दि जाती हैं इसी तरह उत्तर प्रदेश राज्य में भी सरकार मशरूम की खेती को बढ़ावा दे रही है यहां पर मशरूम की खेती करने वाले किसानों को 40% सब्सिडी मिलती है।


ओयस्टर किस्म की मशरूम की खेती करने के लिए गेहूं की प्राली को प्रक्रिया किया जाता है फिर प्रक्रिया भूस्से में ओयस्टर किस्म के बीज को बोया जाता है इस तरह 30 से 45 दिन में मशरूम तैयार हो जाता है ओयस्टर किसान के लिए 25 से 35 डिग्री टेंपरेचर सही होता है अगर किसान इस  किस्म की खेती शुरू करते हैं तो 45 दिन के अंदर अच्छी कमाई कर सकते हैं।