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NH-709 GPS TOLL:आज से नई व्यवस्था लागू, पर फास्टैग भी चलता रहेगा पानीपत-हिसार एनएच-709 पर जीपीएस से टोल वसूली; 20 किमी फ्री; जितनी यात्रा, उतना पैसा

Toll collection through GPS on Panipat-Hisar NH-709; 
 
NH-709 GPS TOLL:देश में ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम लागू हो गया है। सड़क, परिवहन व राजमार्ग

मंत्रालय ने आज इसके संशोधित नियम जारी किए अधिसूचना के मुताबिक GNSS से लैस निजी वाहनों से नेशनल हाईवे पर रोज 20 किमी की दूरी तक कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। वे 20 किमी से अधिक जितनी दूरी तय करेंगे, उतना टोल वसूला जाएगा। फायदा उन्हीं वाहनों को
होगा, जो फिलहाल जीएनएसएस से लैस हैं। यह व्यवस्था फिलहाल हाइब्रिड मोड पर काम करेगी। यानी टोल वसूली कैश, फास्टैग और एएनपीआर (ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन) से भी जारी रहेगी।

जीएनएसएस से टोल वसूली के बेंगलुरू-मैसूर हाईवे (एनएच- 275) व पानीपत-हिसार (एनएच-709) पर ट्रायल रन किए गए थे। इसके अलावा देश में फिलहाल कहीं भी जीएनएसएस के लिए डेडिकेटेड लेन नहीं है। ऑन- बोर्ड यूनिट (ओबीयू) या ट्रैकिंग डिवाइस की कीमत लगभग 4 हजार रुपए होगी, जो वाहन मालिक को देनी होगी। वहीं, पानीपत में एनएच- 709 पर स्थित डाहर टोल प्लाजा के मैनेजर रवि गहलोत ने बताया कि यहां सर्वे शुरू नहीं हुआ है। सर्वे के बाद मशीनें लगाई जाएंगी। तब जीएनएसएस लागू होगा।

खुद खरीदना होगा उपकरण कीमत रहेगी 4000 के लगभग।

हाईवे एक्सपर्ट्स के मुताबिक, जीएनएसएस लागू होने के बाद जैसे ही गाड़ी हाईवे पर पहुंचेगी, उसका प्रवेश बिंदु ही टोल गेट होगा। हाईवे को छूने के साथ ही मीटर चालू हो जाएगा। स्थानीय लोगों को टोल गेट से 20 किमी. जाने की छूट है। 21वें किमी. से टोल लगेगा।

* हर टोल पर कुछ लेन जीएनएसएस डेडिकेटेड होंगी, ताकि उसमें केवल जीएनएसएस वाली गाड़ियां निकलें।
नए सिस्टम के लिए सभी गाड़ियों में जीएनएसएस ऑनबोर्ड यूनिट होनी जरूरी है। यह फिलहाल उन्हीं नई गाड़ियों में उपलब्ध है, जिनमें इमरजेंसी हेल्प के लिए पैनिक बटन है। बाकी सभी गाड़ियों में यह सिस्टम लगवाना होगा।

* फास्टैग की तरह ऑन-बोर्ड यूनिट (ओबीयू) भी सरकारी पोर्टल के जरिये उपलब्ध होंगी। उन्हें वाहनों पर लगाया जाएगा। टोल इससे लिंक बैंक खाते से कट जाएगा।

* कार/ट्रक में ओबीयू लगवाने का खर्च करीब 4,000 रु. है, जो वाहन मालिक को भुगतना होगा।

* एक बार जब सभी गाड़ियों में जीएनएसएस यूनिट लग जाएगी और सभी लेन जीएनएसएस के लिए होंगे तो सड़कों से सभी टोल बूथ पूरी तरह से हट जाएंगे।

* एनएचएआई को सालाना करीब 40,000 करोड़ रु टोल राजस्व मिलता है। नई प्रणाली पूरी तरह लागू होने के बाद इसके बढ़कर 1.4 लाख करोड़ रुपए होने की उम्मीद है।

* जीएनएसएस को लागू करने के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट आमत्रित किए गए थे। इन आवेदनों के आधार पर अब उन्हें रिक्वेस्ट फॉर टेंडर जारी किए जा
रहे हैं।

जीएनएसएस क्या है? : देश में सभी नेशनल हाईवे की जीआईएस (ज्योग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम) मैपिंग हो चुकी है। फास्टैग के विपरीत जीएनएसएस सैटेलाइट आधारित तकनीक पर काम करती है। इससे सटीक ट्रैकिंग होती है। यह टोल की गणना के लिए जीपीएस और भारत के जीपीएस एडेड जीईओ ऑगमेंटेड नेविगेशन (जीएजीएएन-गगन) सिस्टम का उपयोग करता है।