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उच्चतर शिक्षा विभाग ने हरियाणा प्रदेश के सभी राजकीय कॉलेज यूनिवर्सिटी और जिला लाइब्रेरी को अनोखा आदेश दिया

उच्चतर शिक्षा विभाग ने हरियाणा प्रदेश के सभी राजकीय कॉलेज यूनिवर्सिटी और जिला लाइब्रेरी को अनोखा आदेश दिया
 

उच्चतर शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सभी राजकीय कॉलेजों, यूनिवर्सिटी और जिला लाइब्रेरी को अनोखा आदेश दिया है। इसमें कहा कि सभी को डिस्कवरी मैगजीन को सब्सक्राइब करना होगा। 60 महीने के लिए मैगजीन की खरीद के आदेश देने होंगे। सालाना खर्चा 6 लाख से ज्यादा है।

इससे ऐसे कॉलेज परेशानी में हैं, जहां न तो पर्याप्त स्टाफ है, न ही अधिक संख्या में विद्यार्थी और न ही लाइब्रेरी। फंड के लिए भी तरस रहे हैं, लेकिन पुस्तकें कैसे खरीदेंगे?

प्रदेश में करीब 180 राजकीय कॉलेज, 97 एडिड कॉलेज और 10 स्टेट यूनिवर्सिटी हैं। 20 जिला लाइब्रेरी व 6 सब डिविजनल लाइब्रेरी संचालित हैं। विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर ने आदेश दिए हैं। 60 महीने के लिए मैगजीन की 62 कॉपी आएंगी, जिनकी कीमत 5 लाख 54 हजार रुपए होगी। मैगजीन पैकिंग, पोस्टिंग चार्ज भी देना होगा। जिसकी एवज में 55 हजार 800 रुपए का भुगतान करना होगा। फ्री मिलने वाले स्टडी मैटिरियल के लिए भी पोस्टल, पैकेजिंग चार्ज के 29 हजार 960 रुपए देने होंगे। एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि ये मैगजीन सरकारी नहीं है। इस ऑर्डर से एक कॉलेज पर पांच साल में करीब 60 लाख रुपए का बोझ पड़ेगा।

इस आदेश को लेकर कोई भी अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। आदेश पत्र के साथ बाकायदा सब्सक्रिप्शन फार्म, पेमेंट का मोड संबंधी सब कुछ डोक्यूमेंट्स साथ भेजे गए हैं, ताकि किसी भी प्रकार का किंतु-परंतु न रहे। अब केवल संबंधित प्रिंसिपल या अन्य अधिकारी को केवल पेमेंट करनी है और हस्ताक्षर करके फार्म भेजना है।

ये कई सवाल कर रहे स्टाफ को परेशान

* कई कॉलेज ऐसे हैं जो नए खुले हैं। उनमें न तो पर्याप्त स्टाफ है और न ही अधिक कोर्स व छात्रों भी कम हैं। नहीं लाइब्रेरी भी नहीं है। तो ऐसे कॉलेजों में इन मैगजीन का क्या करेंगे।

* कई कॉलेज में साइंस विषय नहीं है तो वहां इसका क्या औचित्य ?

* पुस्तकें खरीदना, कितनी और कौन सी खरीदना मुख्य रूप से जरूरत पर निर्भर करता है, लेकिन ये ऊपर से आए आने के बाद अधिकारी पसोपेश में हैं।

फ्री का लालच दिखा रहे, कोरियर का भुगतान करना पड़ेगा। हालांकि भेजे गए आदेश में मैगजीन के अलावा कई ऐसी पुस्तकों की सूची भी है, जिन्हें फ्री दिखाया गया है। लेकिन समस्या ये है कि इन पुस्तकों को मंगवाने के लिए भी कॉलेजों, विवि को ही कुरियर का चार्ज देना पड़ेगा।