जैविक खाद से बंजर भूमि उपजाऊ बनाई, बाजार में फसल का दाम भी 30% ज्यादा
जैविक खेती इतनी कारगर है कि बंजर जमीन भी हरी भरी हो सकती है। जिले के किसान अनुज ने इस बात को साबित कर दिखाया है। खारे पानी के कारण बंजर हो चुकी जमीन पर अब अमरूद का बाग लहलहाने लगा है। इससे प्रेरित होकर अब आसपास के किसान भी जैविक खाद बनाने की शुरुआत कर रहे हैं। दरअसल, महम निवासी अनुज अपने भाई की मौत के कारण 10वीं कक्षा के बाद पढ़ाई नहीं कर पाए। परिवार में माता-पिता के सिवाए कोई नहीं था। जमीन में खारा पानी होने के कारण बंजर हो गई। आमदनी का कोई साधन नहीं था। अनुज ने वैज्ञानिकों से इसके समाधान की जानकारी जुटाई। उन्हें वार्मिंग कम्पोस्ट को इसका स्थाई समाधान बताया गया। अनुज ने 40 हजार रुपए से 40 किग्रा. केंचुए लाकर जैविक खाद बनाना शुरू किया। फिर बंजर जमीन पर डालना शुरू किया।
पहली बार जैविक खाद डालने के बाद फसल उगाई तो फसल अच्छी हो गई। इसके बाद लगातार जैविक खाद का प्रयोग किया तो जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ती चली गई। जहां पहले इस बंजर जमीन में फसल बेहद कमजोर होती थी। जैविक खेती के बाद एक एकड़ में दो क्विंटल तक सरसों की पैदावार हो गई। फिर इस जमीन पर अमरूद का बाग लगाया है। अब यह 4 साल का हो गया है। फल देने लगा है। इसके साथ ही 3 एकड़ जमीन पर अब सब्जी उगाते हैं। जैविक खाद के प्रयोग के कारण सब्जी में रोग नहीं लगता। क्योंकि जैविक खाद से जमीन में मित्र कीटों की संख्या बढ़ती है। बाजार में सामान्य फसल की अपेक्षा 30 फीसदी तक अधिक दाम मिलते हैं, जिससे प्रतिमाह 40 हजार रुपए तक की इनकम होने लगी है।
6 टन तक का करने उत्पादन : अनुज ने दूसरे किसानों को भी जैविक खाद मुहैया कराने के लिए वार्मिंग कंपोस्ट बनाने का काम बढ़ाया है। अब तक साल में 6 टन तक जैविक खाद का उत्पादन करने लगे हैं, जिससे 50 हजार रुपए प्रतिमाह तक इनकम हो रही है।
जैविक खेती से जमीन में फसल के मित्र कीटों की संख्या बढ़ती है। जो फसल को बढ़ावा देने के लिए सहायक बनते हैं, जिससे बंजर जमीन को भी उपजाऊ बनाया जा सकता है, जबकि यूरिया से जमीन की उर्वरा शक्ति का ह्रास होता रहा है। - डॉ. रामकरण गौड़, कीट वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र