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40 से 60 दिनों में तैयार हो जाती हैं पत्तेदार सब्जियां, दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक कर सकते हैं बिजाई बाजार में भी अधिक मांग

40 से 60 दिनों में तैयार हो जाती हैं पत्तेदार सब्जियां, दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक कर सकते हैं बिजाई बाजार में भी अधिक मांग
 

सर्दियों में उगाई जाने वाली पालक, मेथी, धनिया, बंद गोभी आदि का हरे पत्तों वाली सब्जियों में मुख्य स्थान है। इस मौसम में इनकी बाजार में भी अधिक मांग है। किसान इनकी नवंबर से दिसंबर तक सीधी बिजाई कर सकते हैं। ये हरी पत्तेदार सब्जियां हमारे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होती हैं। पत्तेदार सब्जियों से हमें आयरन भी मिलता है। इसलिए इन सब्जियों की बाजारों में मांग ज्यादा है। ये सब्जियां 40 से 60 दिन के बाद तैयार हो जाती हैं, जिनका बाजारीकरण करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। डॉक्टर सुरेश कुमार अरोड़ा, पूर्व अध्यक्ष सब्जी विज्ञान विभाग हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसारइन सब्जियों की खेती करते समय किसानों को इनके अच्छे उत्पादन के लिए किसानों को क्या- क्या ध्यान रखना चाहिए।

सभी अलग-अलग हरे पत्तों वाली सब्जियों की इन उन्नतशील किस्मों का चुनाव करें

पालकः पालक की एचएस 23, जॉबनेर ग्रीन, ऑल ग्रीन नामक किस्में हैं।

* बंदगोभीः लाल बंद गोभी में पराईमैरो

(लाल, रेड जियूल एवं रेड किंग) जबकि हरी बंद गोभी में गोल्डन एकड़ आदि शंकर प्रजातियां काफी प्रसिद्ध है। विदेशी सब्जियों के रूप में बंद गोभी की सब्जी में चाइनीच बंद गोभी गोभी की किस्में जैसे कि जाया और ब्रिस्क ग्रीन नामक मुख्य किस्में है।

 मेथी मेंः कस्तूरी मेथी, देसी मेथी, पूसा अर्ली बंचिंग और आर एन टी-335 आदि उन्नत किस्में हैं।

 लेट्यूसः इसके अलावा सलाद की ग्रैंड रैपिड, ग्रीन, सायूला, पाटागोनिया, आइसबर्ग और ईटेलिया आदि हैं।


पत्ते वाली सब्जीः इसके अलावा एक पत्ते वाली सब्जी जिसे पकचोए एनएस- 1458 है। इन्हीं पत्ते वाली सब्जियों में एक विदेशी सब्जी के रूप सेलरी की भी खेती की जाती है।

मेथी पालक की सीधी बिजाईः मेथी और

पालक की सीधी बिजाई की जाती है, जबकि इन दोनों के अलावा अन्य सब्जियों की पहले पौधशाला में पौध तैयार की जाती है। रोपाई का सही समय नवंबर से दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक है।

30 सेंटीमीटर तक रखें पौधों में दूरी

पालक व मेथी की छिंटा विधि द्वारा बीज बोया जाता है। अन्य सब्जियों की पौध को रोपने के लिए समतल क्यारियों में कतार से कतार की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 30 सेंटीमीटर रखें।

हल्की सिंचाईः सीधी बिजाई के बाद हल्की सिंचाई करना बहुत आवश्यक है। अगली सिंचाई मौसम पर निर्भर करती है। दो सिंचाई के बीच का गैप कम से कम 10 से 15 दिन का होना चाहिए।

खरपतवारों पर नियंत्रण

सब्जियों को जंगली बथुआ, मोथा, हिरण खुरी आदि खरपतवारों से बचाने के लिए निराई गुड़ाई करना जरूरी है, जिससे पौधे स्वस्थ रहते हैं और जमीन में उपलब्ध उनके लिए पोषक तत्वों को केवल सब्जियों के पौधे ही ग्रहण करते हैं।

ये ध्यान रखेंः किसी भी तरह की खरपतवार नाशक दवा का प्रयोग करना निषेध है, केवल मैन्युअल वीडिंग द्वारा इन अपशिष्ट खरपतवार रूपी पौधों को बाहर निकाल दें। जिन्हें एक गड्ढे में डालकर स्टार्टर यानी डी कंपोजर नामक दवा की मदद से गलाने के बाद जैविक खाद के रूप में बदला जा सकता है।