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कुलदीप बिश्नोई ने महासभा के प्रधान देवेंद्र बुढ़िया को पद से हटाया, परसराम बिश्नोई बनाए नए प्रधान

कुलदीप बिश्नोई ने महासभा के प्रधान देवेंद्र बुढ़िया को पद से हटाया, परसराम बिश्नोई बनाए नए प्रधान
 

अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष देवेंद्र बुड़िया ने महासभा के संरक्षक कुलदीप बिश्नोई पर विधानसभा चुनाव में 10 करोड़ रु. का चंदा मांगने व नलवा विधायक रणधीर पनिहार पर दिल्ली स्थित हरियाणा भवन में बंधक 
बनाने के आरोप लगाए हैं। वहीं, कुलदीप बिश्नोई ने कहा कि महासभा के प्रधान देवेंद्र बुढ़िया को पदमुक्त करता हूं।

परसराम बिश्नोई को नया प्रधान बनाता हूं। दरअसल, देवेंद्र बुड़िया ने समाज के लोगों के साथ जोधपुर में बैठक की देवेंद्र बुड़िया ने कहा, 'विधानसभा चुनाव से ही मेरे और  कुलदीप बिश्नोई के बीच खटपट चल रही है। उन्होंने कहा था कि 10 करोड़ रुपए का टारगेट दिया जाता है, जो समाज से चंदा करके आप लाओ।

लोगों ने नहीं दिए। उन्होंने लिस्ट मांगी तो मैंने दे दी। भव्य को जिताने के लिए भरपूर प्रयास किया। घर-घर घूमा। एक और कमिटमेंट था, उसे भी मैं पूरा नहीं कर सका। आज से 4-5 दिन पहले कुलदीप का फोन आया और मुझसे इस्तीफा मांगा। मैंने कहा कि वॉट्सएप पर नहीं भेजूंगा, मिलकर इस्तीफा दूंगा। कुलदीप ने चौधरी भजनलाल की तस्वीर के सामने हाथ रखकर कहा कि मैं पिताजी की कसम खाता हूं, आपको प्रधान नहीं रहने दूंगा। मैंने कहा कि ऐसा क्या हो गया जी। बस मुझे आपको नहीं बनाना है, आप इस्तीफा दो। मैंने कहा कि मैं इस्तीफा मिलकर दूंगा। उन्होंने कहा ठीक है। आप टिकट बुक करवाओ। मैं टिकट बुक करवाकर दिल्ली पहुंच गया।

रणधीर पनिहार ने मुझे हरियाणा भवन में बुलाया। वहां पहुंचने पर कहा कि आपने कमिटमेंट पूरी नहीं की। अब बताओ क्या करना है? दो कागज मेरे सामने रखे और साइन करने को बोला। कुलदीप के सामने ही इस्तीफा देने की बात कही। कमरे में पांच लोग थे। एक ने मेरा हाथ पकड़ा और एक वीडियो बनाने लगा।

इसके बाद मैं फुटपाथ पर आकर बैठ गया। फिर कुलदीप को फोन मिलाया, लेकिन फोन नहीं उठाया। भव्य ने भी 2-3 बार में फोन नहीं उठाया। फिर उनका बैंक कॉल आया। उन्होंने कुछ नहीं कहा और फोन काट दिया। मैंने कुलदीप को वॉट्सएप पर वॉइस मैसेज भेजे और कहा कि मेरे साथ इस तरह की घटना हो रही है। यह लोग मेरे साथ गलत कर रहे हैं। रणधीर ने कहा कि इसे गाड़ी में डालो। वहां मंत्रियों की गाड़ियां थीं और पुलिस वाले भी थे। मैंने शोर मचाया तो वे गाड़ी दौड़ाकर भाग गए। मेरे पास टैक्सी थी। मैं वहां से निकल आया। कुलदीप को फोन किया तो स्विच ऑफ आया। इसके बाद जान का खतरा समझ लाइव आकर सबकुछ बताया। घटना के 15 घंटे बाद भी उनका फोन नहीं आया। सभा का भी कोई पत्र हो, उन पर कुलदीप का नाम लिखना जरूरी किया हुआ था।