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सरकार ने लागू किए नए नियम, जन्म प्रमाण पत्र नहीं बनवाया है बच्चों का तो 31 तक है लास्ट मौका

सरकार ने लागू किए नए नियम, जन्म प्रमाण पत्र नहीं बनवाया है बच्चों का तो 31 तक है लास्ट मौका
 

जन्म प्रमाण पत्र:मां-बाप के लिए बच्चों का नाम बहुत महत्व रखता है। लोग बच्चों का नाम पहले ही सोच कर रखते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी अभिभावक हैं जो बच्चों का नाम उनके सबसे महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट जन्म प्रमाण पत्र में दर्ज करवाना भूल गए हैं। जिससे बच्चों को स्कूल एडमिशन से लेकर अन्य सभी कामों के लिए परेशानी आती है। अब सरकार जन्म प्रमाण पत्र में बच्चे का नाम दर्ज करवाने की छूट दी है। यह उन अभिभावकों के लिए अच्छी खबर है जो अपने बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र में नाम दर्ज नहीं करवा सके थे। बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र में बच्चे का नाम दर्ज करवाने को लेकर अभिभावकों को अब तक चक्कर काटने पड़ रहे थे। इसके लिए नगर परिषद कार्यालय तो कभी नागरिक अस्पताल के जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र शाखा में भटकना पड़ रहा था। अभिभावक अब 15 वर्ष से ऊपर के बच्चों का नाम 31 दिसंबर तक दर्ज करवा सकते हैं।

बता दें कि किसी भी सरकारी अथवा प्राइवेट अस्पताल अथवा घर पर पैदा होने वाले बच्चों का नगर निगम से जन्म प्रमाण पत्र बनवाना अनिवार्य है। क्योंकि बगैर प्रमाण पत्र के स्कूलों में दाखिले नहीं होते। अब अन्य बहुत से कार्यों के लिए भी जन्म प्रमाण पत्र अनिवार्य हो गया है। वैसे तो अस्पतालों में पैदा होने वाले बच्चों का रिकार्ड खुद ब खुद नगर निगम के रिकार्ड में आ जाता है। लेकिन उसमें सिर्फ अस्पताल का नाम, जन्मदिन, मां और बाप का नाम ही लिखा होता है। बच्चे का नाम नहीं होता, इसी के लिए नई सुविधा दी गई है।

जरूरत पड़ने पर ही जन्म-मृत्यु शाखा पहुंचते हैं अभिभावक

जब तक अभिभावकों को जन्म प्रमाण पत्र या पीपीपी का कहीं प्रयोग नहीं करना होता, तब तक अभिभावक बच्चे का नाम पीपीपी में तो क्या जन्म प्रमाण पत्र में भी अपडेट नहीं करवाते हैं। जन्म शाखा में उनके पास काफी संख्या में बेबी लिखे हुए ही आधार लेकर लोग जन्म प्रमाण पत्र बनवाने आते हैं। जबकि बच्चे के स्कूल में एडमिशन से लेकर प्रत्येक स्थान पर जन्म प्रमाण पत्र की जरूरत रहती है। नागरिक अस्पताल की बात की जाए तो यहां जन्म प्रमाण पत्र विंग में प्रतिदिन इसी तरह की समस्या को लेकर अभिभावक पहुंचते हैं। इसी तरह नगर परिषद कार्यालय में भी अपने बच्चे का नाम रिकार्ड में दर्ज करवाने को लेकर अभिभावक पहुंचते हैं, लेकिन नाम दर्ज करवाने की गाइडलाइन न होने के चलते उन्हें मायूस होकर वापस लौटना पड़ता है।

मुख्यालय की ओर से पत्र मिला है। नगर परिषद ने इस दिशा में काम शुरू कर दिया है। जिस भी व्यक्ति ने अपने बच्चे का नाम नगर परिषद के रिकॉर्ड में दर्ज नहीं करवाया, वह दर्ज करवा सकता है।"

-अत्तर सिंह, ईओ, नगर परिषद, सिरसा।

संस्था का पंजीकरण करवाना अनिवार्य 

बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष अनीता वर्मा ने बताया कि अगर कोई भी व्यक्ति या व्यक्ति समूह बिना पंजीकरण के संस्था चला रहा है तो उसे पंजीकरण करवाना अनिवार्य है, अन्यथा संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। उन्होंने बताया कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2016 के अंतर्गत आने वाले 0 से 18 वर्ष तक की आयु के बच्चे यदि किसी अनाथालय अथवा किसी संस्था में रहते हैं तो उस संस्था का जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 41 (1) के तहत पंजीकरण करवाना अनिवार्य है। सिरसा में यदि कोई ऐसा अनाथालय अथवा संस्था बिना पंजीकरण के चल रही है तो जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 42 के तहत संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। बिना पंजीकरण के चल रही संस्था की सूचना देने व पंजीकरण करवाने के लिए जिला बाल संरक्षण इकाई, सिरसा के कार्यालय, कमरा नंबर 308, वाणिज्य भवन, लघु सचिवालय, सिरसा में संपर्क कर सकते हैं अथवा बाल कल्याण समिति के कार्यालय में संपर्क किया जा सकता है।