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गर्मी और उमस के चलते धान की फसल में पत्ता लपेट सुंडी का अटैक बढ़ता जा रहा है जाने रोकथाम

 

 हल्की बारिश के बाद गर्मी व उमस के चलते धान की फसल में पत्ता लपेट सुंडी का अटैक बढ़ता जा रहा है। जिसके चलते किसानों को धान की फसल खराब होने की चिंता बनी हुई है। उपमंडल के एरिया में पिछले कई दिनों से हल्की बारिश के बाद गर्मी व उमस बनी हुई है। जिससे यहां लोगों को अपने घरों में बैठना मुश्किल हो रहा है। सुंडी के अटैक से धान की फसल के फ्तों का आकार पाइप नुमा हो जाता है। सुंडी अंदर ही अंदर पत्तों को खाती रहती है। कुछ दिन बाद पत्ते सफेद दिखाई देने शुरू हो जाता है। अगर किसानों की तरफ से समय पर कीटनाशक का छिड़काव नहीं किया जाता तो वह धान की फसल को चट कर देती है। वहीं सितंबर माह में अधिक गर्मी से धान की गोभ में सुंडी पैदा हो जाती है और ये गोभ में अंडे देती है। फिर धीरे-धीर सुंडी पूरे पौधे को खाने
लग जाती है। इसके बाद सुंडी तने में छेद कर देती है जिससे पौधे सुखने लग जाते है समय रहते कीटनाशक दवाई के छिड़काव से बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है। जबकि भारी बारिश से भी पत्ता लपेट से सुंडी के प्रकोप से भी राहत मिलती है।

पत्ता लपेट सुंडी की रोकथामः

इसकी रोकथाम के लिए आप नीचे लिखे कीटनाशकों में से किसी एक को 100 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ में स्प्रे करें:

-20 मि.ली. फेम 480 एस सी (फ्लूबैडामाइड)

-170 ग्राम मोरटार 75 एस जी (कारटाप हाइड्रोक्लोराइड)

-एक लीटर कोरोबोन/डरमट/फोरस 20 ई.सी. (क्लोरपाइरीफॉस)

बीमारी से बचाव का उपायःकृषि विभाग के उप निदेशक डॉक्टर करमचंद ने कहा कि किसानों का फसल में मोनोक्रोटोफ़ास का स्प्रे (spray of monocrotophos in paddy) करना चाहिए. 500 ग्राम मोनोक्रोटोफ़ास 200 से 250 लीटर पानी मे डाल कर एक एकड़ में स्प्रे करें. इसके छिड़काव से पत्ता लपेट सुंडी मर जाएगी. पत्ता लपेट सुंडी के खात्मे के लिए देसी उपाय भी है. एक लंबी रस्सी लेकर उसमें 2-3 जगह पत्थर बांध दें और 2 व्यक्ति उसे धान के खेत में एक छोर से दूसरे छोर तक घूमायें. ऐसा करने से सुंड़ी पत्तों से झड़ कर पानी में गिर कर मर जाएगी. अगर बरसात अच्छी हो जाती है तो बीमारी की खतरा टल जाएगा.

बीमारी के महीनेः

पत्ता लपेट सुंडी का खतरा अगस्त व सितंबर महीने में रहता है क्योंकि (Agriculture Department karnal) इन महीनों में दिन में अधिक गर्मी से धान की गोभ में सुंडी पैदा हो जाती है. ये गोभ में अंडे देती है और फिर धीरे धीरे सुंडी पूरे पौधे को खाने लग जाती है. सुंडी तने में छेद कर देती है जिससे पौधे सुखने लग जाते हैं. समय रहते कीटनाशक दवाई के छिड़काव से बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है. अगर धान में तना छेदक रोग भी लगा है तो 5 किलोग्राम चलदान दवाई खेत मे डालें जो तना छेदक और पत्ती लपेटा कीट पर दोनों को खत्म कर देगी.