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सरसों की आरएच 725, गेहूं की डब्ल्यूएच 1270 किस्मों की मांग

सरसों की आरएच 725, गेहूं की डब्ल्यूएच 1270 किस्मों की मांग
 

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में दो दिवसीय कृषि मेला रबी का विवि के कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने शुभारंभ किया। इस वर्ष कृषि मेले का थीम 'फसल अवशेष प्रबंधन' रखा गया है। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय अब तक 295 उन्नत किस्में विकसित कर चुका है। इन किस्मों की अन्य प्रदेशों में मांग बढ़ने का कारण उनकी अधिक पैदावार व गुणवत्ता है। जिसमें सरसों की आरएच 725 व आरएच 1975 तथा गेंहू की डब्ल्यूएच 1270 व 1402 तथा चारे वाली फसल जई की ओएस 403 व ओएस 607 जैसी नई किस्में शामिल हैं।

मेले में पहले दिन 22 हजार 500 से अधिक किसानों की उपस्थिति दर्ज की गई। उन्होंने नए उन्नत बीजों, कृषि विधियों, सिंचाई यंत्रों, कृषि मशीनरी आदि की जानकारी हासिल की। मेले में आगामी रबी फसलों के बीजों के लिए किसानों में भारी उत्साह देखा गया जहां किसानों ने गेहूं, जौ, सरसों, चना, मेथी, मसूर, बरसीम, जई, तथा मक्का की उन्नत किस्मों के लगभग 1 करोड़ 14 लाख 90 हजार 60 रुपए के बीज खरीदे। मेले में 30 हजार रुपए के कृषि साहित्य की बिक्री हुई। सब्जी व बागवानी फसलों के बीजों की 1 लाख 42 हजार 300 रुपए की बिक्री हुई। मिट्टी के 71 तथा पानी के 170 नमूनों की जांच करवाई। इस अवसर पर विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. बलवान सिंह मंडल, अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग और डॉ. भूपेन्द्र उपस्थित थे।

हरियाणा देश में 60% बासमती चावल का निर्यात कर रहा, कुल खाद्यान्न में 17% का योगदान दे रहा है:

काम्बोज ने कहा हरियाणा के गठन के समय खाद्यान्न उत्पादन 25.92 लाख टन था, जो वर्ष 2021-22 में बढ़कर 230 लाख टन हो गया है। हरियाणा की गेहूं की औसत पैदावार 49.25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर एवं सरसों की औसत पैदावार 20.58 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। हरियाणा बासमती चावल के लिए भी विशेष रूप से विख्यात है व देश के 60% से अधिक बासमती चावल का निर्यात केवल हरियाणा से ही होता है व देश के कुल खाद्यान्न में 17% का योगदान कर रहा है। उपलब्धियों के साथ-साथ कुछ चुनौतियां भी सामने आई हैं, जैसे मृदा की उर्वरा शक्ति का कम होना, फसल अवशेषों का सदुपयोग
ना होना आदि। जमीन की उर्वरा शक्ति घटने के साथ-साथ भूमि के लाभदायक जीवाणु भी अवशेषों को जलाने से नष्ट हो जाते हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए इस वर्ष के मेले का थीम 'फसल अवशेष प्रबंधन' रखा गया है, ताकि किसानों को इसके प्रति जागरूक किया जा सके। काम्बोज ने कहा कि किसानों को जागरूक करने के कारण फसल अवशेष प्रबंधन में हरियाणा अग्रणीय प्रदेश बन गया है। वर्तमान में हमें फसल अवशेषों को मिट्टी में मिलाकर जीवांश की मात्रा बढ़ाने, फसल विविधिकरण अपनाने के साथ-साथ जल संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर ध्यान देने की जरूरत है।